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लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ- अटल बिहारी वाजपेयी

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Aug 16, 2019

आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि है। इस अवसर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के अन्य नेताओं ने दिग्गज दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके अलावा गृह मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की। देश के तीन बार प्रधानमंत्री रहे श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सचमुच कभी 'हार' नहीं मानी, फिर चाहे उनका व्यक्तिगत जीवन हो या राजनितिक। उनके प्रत्येक फैसले में उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और उसे पूरा करने का संकल्प स्पष्ट दिखाई पड़ता था। अपनी दमदार आवाज और भाषण के दम पर श्री वाजपेयी लगभग पांच दशक तक राजनीति के शिखर पर कायम रहे।

वाजपेयी अपने पूरे जीवन अविवाहित रहे। उन्होंने लंबे समय से दोस्त राजकुमारी कौल और बी॰एन॰ कौल की बेटी नमिता भट्टाचार्य को उन्होंने दत्तक पुत्री के रूप में स्वीकार किया। राजकुमारी कौल की मृत्यु वर्ष 2014 में हो चुकी है। अटल जी के साथ नमिता और उनके पति रंजन भट्टाचार्य रहते थे।

अटल बिहारी वाजपेयी ब्रजभाषा और खड़ी बोली में करते थे काव्य रचना

अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी थे। मेरी इक्यावन कविताएँ अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है। वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले हैं। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे। वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे। पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा है।

वाजपेयी जी हिंदी के एक प्रसिद्ध कवि थे। उनके प्रकाशित कार्यों में कैदी कविराई कुंडलियां शामिल हैं, जो 1975-77 आपातकाल के दौरान कैद किए गए कविताओं का संग्रह था, और अमर आग है। अपनी कविता के संबंध में उन्होंने लिखा, "मेरी कविता युद्ध की घोषणा है, हारने के लिए एक निर्वासन नहीं है। यह हारने वाले सैनिक की निराशा की ड्रमबीट नहीं है, लेकिन युद्ध योद्धा की जीत होगी। यह निराशा की इच्छा नहीं है लेकिन जीत का हलचल चिल्लाओ। "

वर्ष भर पहले आज ही के दिन उन्होंने अपने जीवन की अंतिम सांस ली और एक नए सफर पर निकल गए, वे मरे नहीं, क्योंकि 'अटल' कभी मरते नहीं। वे जीवित हैं और रहेंगे अपनी कविताओं में अपने विचारों में और देशवासियों को प्रेरणा देते रहेंगे।