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दहेज के लिये उत्पीडऩ को प्रत्यर्पण संधि में शामिल करना चाहिए : संसदीय समिति

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Aug 5, 2018

संसद की एक समिति ने कहा हे कि भारत में दहेज उत्पीडऩ दंडनीय अपराध है लेकिन दुनिया के अधिकतर देशों में कानून में ऐसी कोई अवधारणा नहीं है, ऐसे में सरकार को 'दहेज के लिये उत्पीडऩ' को प्रत्यर्पण संधि में शामिल करना चाहिए। लोकसभा में हाल ही में पेश विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से संबंधित याचिका समिति की रिपोर्ट में भचता जताई गई है कि भारत में उत्पीडऩ के कुल मामलों में से दहेज उत्पीडऩ के मामले सबसे अधिक हैं।

समिति यह जानकर अचंभित है कि दहेज उत्पीडऩ भारत में कानून के अंतर्गत दंडनीय अपराध है लेकिन आस्ट्रेलिया सहित विश्व के अधिकतर देशों में वैधानिक न्याय शास्त्र में न तो ऐसी कोई अवधारणा है और न ही कानून के अंतर्गत अपराध है समिति ने सिफारिश की है कि प्राधिकार इस पहलू पर गंभीरता से विचार करे और एनआरआई पुरूष से शादी करने वाली पीडि़त महिला को राहत देने के लिये ठोस कदम उठाये जाएं।

रिपोर्ट में समिति ने कहा कि भारतीय परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए आस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों में दहेज के लिये उत्पीडऩ मामले को न्यायोचित ठहराने के लिये प्रत्यर्पण संधि में दहेज के लिये उत्पीडऩ के मुद्दे को भी शामिल किया जाए समिति ने इस बात पर भचता व्यक्त की है कि अप्रवासी भारतीय पुरूषों से शादी करने वाली प्रताडि़त महिलाओं के मामलों से निपटने के लिये विदेश मंत्रालय गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस के बीच संवाद एवं समझ की कमी है जिससे प्रत्यर्पण अनुरोध में विलंब हो जाता हैं।

इसके कारण भगोड़े को प्रत्यर्पण से बचने या प्रत्यर्पण प्रक्रिया में विलंब करने का अवसर मिल जाता है सिफारिश में समिति ने कहा है कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए चूकरहित और त्वरित नेटवर्क बनाया जाए तथा इस श्रेणी में आने वाले मामलों की निगरानी के लिये समुचित कदम उठाये जाएं।