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छत्तीसगढ़ आंखफोड़वा कांडः ऑपरेशन करने वाले अस्पताल का लायसेंस रद्द

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Mar 15, 2018

राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ में आंखफोड़वा कांड की घटना में जिला प्रशासन ने क्रिश्चियन फेलोशिप अस्पताल के लायसेंस को रद्द कर दिया है, और छह महीने तक इस अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन नहीं होने का आदेश दिया है।

ऑपरेशन में गई थी आखों की रोशनी...

गौरतलब है कि प्रदेश में इससे पहले भी बालोद और कांकेर में मोतियाबिंद ऑपरेशन के दौरान दर्जनों ग्रामीणों की आखों की रोशनी जाने का मामला सामने आ चुका है। बावजुद इसके स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और विभाग की सुस्त कार्यवाही के कारण राजनादगांव के क्रिश्चियन फेलोशिप अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने आये जिले के मोहला -मानपुर  क्षेत्र के लगभग 54 ग्रामीणों में से 37 लोगों की रोशनी चली गई थी।

वहीं इस पूरे मामले को अस्पताल प्रबंधन के द्वारा दबाने और स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को जानकारी नहीं देने का प्रयास किया गया था। इस मामले को लेकर कांग्रेस और जनता कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के द्वारा प्रदर्शन किया गया और इस में कांग्रेस ने विधानसभा में हंगामा भी किया। साथ ही कार्रवाई की मांग की गई।

लगभग 37 लोगों की आंखों की गई रोशनी...

बता दें कि शहर के क्रिश्चियन फेलोशिप अस्पताल में 24 फरवरी को मानपुर ब्लॉक के मुड़पार , विचारपुर हेलमकोड़ा ,मरकाक्सा सहित अन्य गावों से वनांचल के लगभग 54 ग्रामीण निःशुल्क मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने के लिए क्रिश्चियन फेलोशिप अस्पताल में भर्ती हुए, जहां पर डॉक्टरों ने इन मरीजों का ऑपरेशन किया, और ऑपरेशन के  दूसरे दिन छुट्टी दे दी गई। मरीज अपने घर चले गए लेकिन आंखों की पट्टी खुलने के बाद भी लगभग 37 लोगों को आखों से दिखाई नहीं दे रहा था, जिसके बाद मरीजों के परिजनों के द्वारा अस्पताल प्रबंधन को शिकायत की गई, जिसके बाद मरीजों का फिर से ऑपरेशन किया गया उसके बाद भी लोगों की आंखों से अन्धेरा ही अन्धेरा दिखने और रोशनी गायब होने की शिकायत की गई।

आननफानन में अस्पताल प्रबंधन के द्वारा अलग -अलग मरीजों का गुट बनाकर रायपुर के निजी अस्पताल में ऑपरेशन करवाया गया उसके बाद भी लोगों की आंखों की रोशनी वापस नहीं आई।

स्वास्थ्य अधिकारी का कहना...

वहीं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है, कि इस मामले में अस्पताल का छह महीने के लिए लायसेंस रद्द कर दिया गया है, और आगे दवाई की और कल्चर रिपोर्ट के लिए रायपुर और कलकत्ता लेब भेजा गया है, और रिपोर्ट आने के बाद बड़ी कार्यवाही की जाएगी।

अधिकारी की मानें तो विभाग के द्वारा निजी और शासकीय अस्पतालों में आंखों के ऑपरेशन को लेकर टारगेट दिया जाता है, जिसके चलते इस तरह की घटना सामने आती हैं ,बहरहाल देखना यह है कि प्रशासन जांच रिपोर्ट आने के बाद इस अस्पताल के ऊपर किस तरह की कार्रवाई करता है, और आगे इस घटना को रोकने के लिए क्या कवायद की जाती है।