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लैंडर विक्रम को लेकर अगले 24 घंटे काफी अहम - इसरो प्रमुख

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Sep 16, 2019

ISRO के बहुचर्चित मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है। खबर है कि लैंडर विक्रम को लेकर अगले 24 घंटे काफी अहम होने वाले हैं। इसरो के वैज्ञानिक अब भी विक्रम लैंडर से संपर्क साधने में लगे हुए हैं। इसरो का भले ही लैंडर विक्रम से संपर्क टूट गया हो लेकिन इसरो ने अभी हार नहीं मानी है। इसरो अभी अगले 14 दिनों से लैंडर विक्रम से संपर्क बनाने की अपनी कोशिश जारी रखेगा। ये जानकारी इसरो प्रमुख के सिवन ने दी है। इसरो प्रमुख ने कहा कि एजेंसी अगले 14 दिनों तक लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की कोशिश जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि मिशन अपनी सौ प्रतिशत सफलता के बेहद नजदीक था, लेकिन आखिरी चरण सही तरह से नहीं हो पाया, उस फेज में हमारा लैंडर से संपर्क टूट गया और बाद संचार स्थापित नहीं हो सका।

नासा भी अपने डीप स्पेस नेटवर्क के तीन सेंटर्स से लगातार लैंडर से संपर्क बनाए हुए

यहां तक कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी अपने डीप स्पेस नेटवर्क के तीन सेंटर्स से लगातार लैंडर से संपर्क बनाए हुए है। नासा अपने लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) के जरिए जहां पर विक्रम लैंडर गिरा हुआ है उसकी तस्वीरें लेगा। 17 सितंबर को नासा का LRO चांद के उस हिस्से से गुजरेगा, जहां विक्रम लैंडर गिरा है। बता दें कि शनिवार तड़के चंद्रयान 2 मिशन के दौरान लैंडर विक्रम से उस वक्त इसरो का संपर्क टूट गया जब लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला था, लेकिन आखिरी चरण में लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की सतह से 2.1 किलोमीटर पहले ही इसरो को संदेश भेजना बंद कर दिया।

मिशन 95 फीसदी सफल रहा

इसरो प्रमुख ने बताया कि मिशन 95 फीसदी सफल रहा है। ऑर्बिटर पूरी तरह ठीक है और उसमें 7।5 साल तक काम करने की क्षमता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि गगनयान सहित इसरो के सभी मिशन निर्धारित समय पर पूरे होंगे। के सिवन ने बताया कि, "विक्रम लैंडर ने अपनी 35 किलोमीटर की कक्षा से सतह से ठीक दो किलोमीटर नीचे उतरने में प्रक्षेपण का तय योजना के मुताबिक पालन किया। इस बिंदु तक उसकी सभी प्रणालियां और तंत्र ठीक काम कर रहे थे और इससे लैंडर में इस्तेमाल वेरियेबल थ्रस्ट प्रोपल्शन तकनीक समेत कई नई तकनीकें साबित हुईं।" बता दें कि लैंडर 'विक्रम' अगर सॉफ्ट लैंडिंग में सफल हो जाता तो भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाले देशों की सूची में चौथा देश होता। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करा चुके हैं।