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कन्हैया पर लगाया गया जुर्माना निरस्त, जेएनयू के आदेश को बताया अवैध

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Jul 21, 2018

दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारत विरोधी कथित नारेबाजी की एक घटना के सिलसिले में जेएनयू के अपीलीय प्राधिकार द्वारा विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र कन्हैया कुमार के खिलाफ जुर्माने के आदेश को शुक्रवार को निरस्त कर दिया। अदालत ने कुमार के खिलाफ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के अपीलीय प्राधिकार द्वारा दिए गए आदेश को अवैध, अतार्किक और नहीं टिकने वाला बताया।

विश्वविद्यालय के वकील ने दी दलील

गौरतलब है कि 2016 में इस घटना के तहत एक कार्यक्रम में कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाए गए थे न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल ने विश्वविद्यालय के 4 जुलाई के आदेश को निरस्त कर दिया और कहा कि अदालत का प्रथम दृष्टया ऐसा मानना है कि आदेश अनगिनत बिन्दुओं पर टिकने योग्य नहीं है इसके बाद विश्वविद्यालय के वकील ने दलील दी कि वह इस फैसले को वापस ले रहे हैं अदालत ने यह विषय अपीलीय प्राधिकार को सौंपते हुए उसे नये सिरे से कानून के मुताबिक कार्यवाही शुरू करने को कहा अदालत ने जेएनयू के छात्र उमर खालिद की इसी तरह की एक याचिका 16 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दी क्योंकि इस पर सुनवाई के लिए आज वक्त नहीं बचा था।

20,000 रुपए का लगाया गया था जुर्माना

दरअसल खालिद को 2016 की इस घटना के सिलसिले में विश्विद्यालय से निष्कासित कर दिया गया था और उस पर 20,000 रुपए का जुर्माना लगाया था न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि उनका मानना है कि रद्द किया गया कार्यालयी आदेश (कुमार के खिलाफ) अवैध, अतार्किक और अनुचित था कुमार ने जेएनयू के चार जुलाई के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए 17 जुलाई को उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी कुमार को अनुशासनहीनता को लेकर दोषी ठहराया गया था और उन पर जुर्माना लगाया गया था। ना

रेबाजी की घटना के लिए 10,000 रुपए का जुर्माना

रेबाजी की घटना के सिलसिले में कुमार पर 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया गया था। संसद भवन पर हमले के दोषी अफजल गुरू की फांसी के विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम मे कथित तौर पर भारत विरोधी नारे लगाए गए थे।