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प्रदेश में धूमधाम से मनाया गया गौरा-गौरी पर्व

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Nov 1, 2016

दुर्ग। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में पारम्परिक त्यौहार गौरा गौरी पर्व विधि विधान से समापन हुआ। दिवाली के दौरान होने वाले इस पारम्परिक त्यौहार को छत्तीसगढ़ के मूल निवासी धूमधाम से मनाते है। प्रमुख रूप से गौरी गौरा पर्व धनतेरस के दिन से प्रारंभ होता है। इस दिन लोग मिट्टी से गौरा गौरी की प्रतिमा बनाते है,और इस प्रतिमा को गौरा चौरा में रखकर तीन दिनों तक विधिवत पूजा की जाती है. गौरा गौरी साक्षात् शिव और पार्वती का ही स्वरुप है. इन तीन दिनों में गौरा गौरी को निद्रा से जगाया जाता है, फिर गोवर्धन पूजा के दिन विशाल शोभायात्रा निकाल इस प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है जिसमें आस-पास के सभी लोग सम्मलित होते हैं. गौरा गौरी पर्व के दौरान गांव का माहौल सौहार्द्र और भाईचारे से परिपूर्ण होता है. गौरा गौरी के विसर्जन के बाद ग्रामीण एक जगह एकत्रित होकर गोवर्धन पूजा भी करते हैं. यह परम्परा 100 वर्षो से चली आ रही है।