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चुनाव से दूर रहेगें भाजपा के कई बड़े नेता

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Mar 31, 2019

- रमेश सर्राफ धमोरा

आगामी लोकसभा चुनाव के मुकाबले में इस बार भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेता नजर नहीं आयेगें। केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने चुनाव लडऩे वालों का उम्र को लेकर एक फार्मूला बनाया है। भाजपा ने 75 वर्ष से अधिक उम्र वाले अपने वरिष्ठ नेताओं को इस बार चुनाव नहीं लड़ाने का फैसला किया है। इसी कारण लालकृष्ण आडवाणी सहित भाजपा के छ: पूर्व मुख्यमंत्री जो वर्तमान में सांसद है लोकसभा के चुनावी मैदान से बाहर हैं।

भाजपा द्वारा अपने फैसले को लागू करने के कारण लालकृष्ण आडवानी जैसे बड़े नेता इस बार गांधीनगर सीट से चुनाव नहीं लड़ेगें। हालांकि आडवानी की उम्र करीबन 92 वर्ष हो गयी हैं, अधिक उम्र के कारण उनका चुनाव लडऩा व घर-घर जाकर वोट मांगना सम्भव नहीं है। इसी कारण उनको चुनावी मैदान से दूर रखा गया है। देश की राजनीति में आडवाणी सबसे वरिष्ठ नेता हैं। वो कई बार भाजपा अध्यक्ष व देश के उप प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केन्द्र में मंत्री रह चुके 88 वर्षीय डा. मुरली मनोहर जोशी अभी कानपुर से सांसद है मगर भाजपा ने उनको आगामी चुनाव में पार्टी प्रत्याशी नहीं बनाया हैं। जोशी अलमोड़ा, इलाहाबाद, वाराणसी व कानपुर से सांसद रह चुके हैं। वो अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में केबीनेट मंत्री रहे थे। मध्यप्रदेश की विदिशा सीट से सांसद व देश की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने स्वंय ही घोषणा कर रखी है कि वो अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी। स्वराज ने स्वास्थ्य कारणो का हवाला देते हुये चुनावी राजनीति से खुद को दूर कर लिया है। पिछली बार अमृतसर से चुनाव में हारने के बाद केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने तो चुनाव लडऩे से तौबा कर ली। जेटली भाजपा की चुनावी रणनीति बनाने वाली टीम के प्रमुख नेता हैं।

कभी भाजपा के बड़े नेता रहे जसवंत सिंह ने पिछले चुनाव में बाडमेर से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलिय लड़ कर हार गये थे मगर खराब स्वास्थ्य के चलते अब वो अस्पताल में है इस कारण उनका चुनाव लडऩा सम्भव नहीं हैं। उनके पुत्र मानवेन्द्र सिंह कांग्रेस टिकट पर बाडमेर से लोकसभा चुनाव लडऩे जा रहे हैं। मानवेन्द्र सिंह गत दिसम्बर में वसुन्धरा राजे के समक्ष कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ कर हार चुके हैं। झांसी से सांसद,केन्द्रीय मंत्री व मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुये इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा की है। चुनाव नहीं लडऩे के कारण पार्टी संगठन में उनको पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है। उमा भारती ने आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियो के समर्थन में चुनाव प्रचार करने की घोषण की है।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री व खूंटी के सांसद करिया मुण्डा के स्थान पर पार्टी ने तीन बार झाखण्ड के मुख्यमंत्री रहे अर्जुन मुण्डा को प्रत्याशी बनाया है। करिया मुण्डा की उम्र अधिक होने के कारण उनको विश्राम दिया गया है। करिया मुण्डा लोकसभा के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं व कई बार लोकसभा, विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व कांगड़ा संसदीय सीट से वर्तमान सांसद शान्ता कुमार 85 साल की उम्र के चलते चुनावी मैदान से बाहर हैं। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रह चुके भुवन चन्द्र खण्डूडी गढ़वाल से सांसद हैं। 84 साल की उम्र के कारण पार्टी ने उनको टिकट नहीं दिया है। उनके पुत्र मनीष खण्डूडी गढ़वाल सीट से कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहें हैं। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रह चुके भगत सिंह कोश्यारी नैनीताल उधमसिंह नगर से मौजूदा सांसद है। 77 साल की उम्र के चलते वो आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगें।

देवरिया से सांसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री कलराज मिश्र भी 75 साल से अधिक उम्र होने के कारण उन्होने अगला लोकसभा चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा की है। उम्र के चलते उन्होने एक साल पूर्व मोदी सरकार से त्यागपत्र भी दिया था। मधुबनी से सांसद व पूर्व केन्द्रीय मंत्री हुकुमदेव नारायण यादव 80 साल की उम्र हाने के कारण अगला चुनाव नहीं लड़ेगें। हालांकि भाजपा ने मधुबनी से उनके पुत्र अशोक यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है। अपनी हाजिर जबाबी व धाराप्रवाह भाषण देने वाले यादव की गांव,गरीब की बाते अब लोकसभा में सुनने को नहीं मिलेगी। हुकमदेव नारायण यादव को हाल ही में राष्ट्रपति ने पद्म भूषण, व संसद द्वारा सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरष्कार से सम्मानित किया गया था। यादव खुद को डा.राममनोहर लोहिया व कर्पूरी ठाकुर के शिष्य मानते रहे हैं।

उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बन जाने के कारण योगी आदित्यनाथ व उप मुख्यमंत्री बनने के कारण केशव प्रसाद मौर्य इस बार का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगें। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी आदित्यनाथ ने संसद की कार्यवाही में भाग लेकर सबका ध्यान आकर्षित किया था। दार्जिलिंग से सांसद व केन्द्रीय राज्य मंत्री एस एस अहलूवालिया भी अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगें। भाजपा ने दार्जिलिंग से उनके स्थान  पर राजूसिंह विष्ट को प्रत्याशी बनाया है। संसदीय कार्य मंत्री व दक्षिण बेंगलुरू से कई बार सांसद रहे अनन्त कुमार अब कभी चुनाव नहीं लड़ पायेगें। गत वर्ष उनकी आकस्मिक मृत्यु हो जाने के कारण देश की राजनीति में हमेशा उनकी कमी खलती रहेगी। पिछली बार बीड़ से चुनाव जीतने वाले गोपीनाथ मुण्डे भी मृत्यु होने के कारण राजनीति से हमेश के लिये अलविदा हो गये। उनकी सीट से उनकी बेटी प्रीतमा मुण्डे सांसद है।

सिकन्दराबाद के सांसद व केन्द्रीय मंत्री रहे बंडारू दत्तात्रेय भी आगामी चुनाव में खड़े नहीं होगें। भाजपा ने उनके स्थान पर पूर्व विधायक जी कृष्णा रेड्डी को प्रत्याशी बनाया है। पिछली बार शिमोगा से सांसद व कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता बन गये है इस कारण वो लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगें। केन्द्रीय राज्य मंत्री कृष्णा राज को भी भाजपा ने पार्टी प्रत्याशी नहीं बनाया है। असम की नोगांव सीट से सांसद व केन्द्रीय रेल राज्य मंत्री राजेन गोहाई का विवादो में रहने के कारण पार्टी ने टिकट काट दिया है इस कारण वो चुनाव नहीं लड़ेगें। वो 2014 में वो लगातार चौथी बार संासद बने थे। उनके स्थान पर विधायक रूपक शर्मा को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री व गुवाहाटी से सांसद विजय चक्रवर्ती की उम्र 80वर्ष होने के कारण उनका भी टिकट काट दिया गया है। वो कई बार लोकसभा व राज्यसभा सदस्य रह चुकी हैं। विजय चक्रवर्ती अटलबिहारी बाजपेयी सरकार में जलसंसाधन विभाग में राज्य मंत्री रही थी। असम के मुख्यमंत्री बन जाने के कारण लखीमपुर से सांसद रहे सर्बानन्द सानोवाल इस बार लोकसभा चुनाव लड़ेगें नहीं बल्कि अपनी पार्टी के प्रत्याशियों को लड़ाते नजर आयेगें।

अजमेर के सांसद व केन्द्रीय मंत्री रहे सांवरलाल जाट व अलवर के सांसद महंत चान्दनाथ की मौत होने के कारण वो आगामी चुनावी परिदृश्य पर नहीं दिखेगें। फिल्म अभिनेता से सांसद बने परेश रावल अभी अहमदाबाद पूर्व से सांसद है मगर आगामी चुनाव में पार्टी ने उनको प्रत्याशी नहीं बनाया है। भाजपा की तरफ से चुनावी कमान सम्भालने वाले वैंकया नायडू के उपराष्ट्रपति बन जाने के कारण उनका चुनावो से दूर रहना स्वाभाविक है।

आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह गुजरात में गांधीनगर सीट से अपना पहला लोकसभा चुनाव लडऩे जा रहे हैं। शाह वर्तमान में गुजरात से राज्यसभा सदस्य है तथा पूर्व में गुजरात में पांच बार विधायक व मंत्री रह चुके हैं। भाजपा ने राजनीति में उम्र का बंधन लगाकर एक नयी शुरूआत की है जिससे पार्टी में युवा नेतृत्व को आगे आने का मौका मिलेगा। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा कई नये चेहरो को मौका देने जा रही है जिसे युवा राजनीति की दिशा में एक सकारात्मक पहल मानी जानी चाहिये। देश के अन्य राजनीतिक दलो को भाजपा की इस पहल का अनुशरण करना चाहिये ताकि देश को युवा नेतृत्व मिल सके।

आलेख:-

रमेश सर्राफ धमोरा

स्वतंत्र पत्रकार