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अभी-अभी:

"नए साल में चहकेगी उम्मीदों की चिड़िया" 

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Jan 3, 2019

- डॉ आदित्य जैन 'बालकवि'

समय की चिड़िया चोंच में भरकर नए साल को लाई।
'विगत' हो गया विदा और ली 'आगत' ने अंगड़ाई।
परिवर्तन से भरे 'अट्ठारह' की टल गई 'साढ़ेसाती'।
नए वर्ष के नए दीप में नए हर्ष की बाती।
उगा नया दिनमान कि नभ में उर्मि नई जगी है।
जन गण मन को फिर 'अधिनायक' से उम्मीद लगी है।
आशा हैं इस बार कि पूरा हो "विकास का सपना"।
'रील' नही 'रियल' में भी हो देश स्वच्छतम अपना।
सिर्फ हाथ ही नही कानून की टाँगे भी लम्बी हो।
चौकीदार ही नहीं ज़रा से चौकन्ने हम भी हैं
यही कामना हैं सबकी.. अच्छे दिन आये जल्दी।
'जातिवाद' के जख्मों पर हो 'राष्ट्रवाद' की 'हल्दी'।
तन को कपड़ा, पेट को रोटी, हर हाथ को काम मिले।
युवा शक्ति के जज्बे को अनुपम आयाम मिले।
बुलेट ट्रेन की तीव्र गति से जब विकास दौड़ेगा।
अपना भारत विश्व शक्तियों के गुरुर तोड़ेगा।
हैं सबको उम्मीद.. 'सोनचिड़िया' का कलरव होगा।
घर घर खुशियां पग-पग प्रगति हर दिन उत्सव होगा।
अगर देश की हर निर्भया सड़कों पर निर्भय होगी।
उस ही दिन सच्चे अर्थों में भारत माँ की जय होगी।
हरियाली, खुशहाली से समृद्धशाली हो हर तबका
उमंग, उत्साह, उल्लास भरा हो नववर्ष मंगलमय सबका