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दिल जीतना कोई प्रधानमंत्री मोदी से सीखें

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Sep 11, 2019

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया था। लैंडर को शुक्रवार देर रात लगभग एक बजकर 38 मिनट पर चांद की सतह पर उतारने की प्रक्रिया शुरू की गई थी लेकिन चांद पर नीचे की तरफ आते समय चांद के धरातल से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर विक्रम लैंडर का पृथ्वी के जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था। जिससे इस अभियान से जुड़े इसरो के वैज्ञानिको सहित पूरे देश में निराशा का माहौल व्याप्त हो गया था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी उस रात इसरो में मिशन चन्द्रयान के साक्षी बनने व इसरो के वैज्ञानिको की हौसला अफजाई करने के लिये उपस्थित थे। लेकिन विक्रम लैंडर की लैंडिंग नहीं हो पाने के कारण रात में मोदी वहां से चुपचाप चले गये। मिशन कामयाब नहीं होने पर इसरो के सभी वैज्ञानिक निराश थे। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सुबह फिर एक बार इसरो के स्टेशन में आकर वहां कार्यरत हर एक वैज्ञानिक के पास जाकर उनसे हाथ मिलाया। वैज्ञानिको की जिस तरह हौसला अफजाई की व उनका मनोबल बढ़ाया उससे पूरा देश मोदी का मुरीद हो गया। सभी के मुंह से निकलने लगा कि दिल जीतना तो कोई मोदी से सीखें। मोदी की हौसला अफजाई से पक्ष विपक्ष के नेता सहित पूरा देश इसरो के वैज्ञानिको के समर्थन में आ गया हर कोई उनके काम की सराहना करने लगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस ढग़ से भावुक हुये इसरो चीफ के शिवन को कंधे से लगाकर उनकी पीठ थपथपाई उसको देखकर ऐसा लगा मानो देश के 125 करोड़ लोग इसरो चीफ की पीठ थपथपा रहे हो। उस दृश्य को देखकर देश का हर एक व्यक्ति भावुक हो उठा था। मोदी ने उसी दिन मुम्बई की जनसभाओं में इसरो के वैज्ञानिको की खुले मन से तारीफ कर उनमें एक नई उर्जा का संचार किया।

देश में अनेकों ऐसे अवसर आए हैं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी भूमिका से अपने क्रियाकलापों से देश की जनता का दिल जीता है। लोगों को याद है जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक सांसद के रूप में पहली बार संसद में प्रवेश कर रहे थे तो उन्होने साक्षात दंडवत होकर संसद भवन की चौखट को चूमा था। उस दृश्य को देखकर करोड़ों देशवासियों का मन प्रफुल्लित हो गया था व उसी वक्त देश की जनता को कुछ नया होने का अहसास हो गया था।

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के निधन के वक्त जैसी भूमिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निभाई वैसी भूमिका कोई बेटा भी अपने बाप के लिए नहीं निभा सकता है। निधन से पूर्व जब बाजपेई एम्स में भर्ती थे तो प्रधानमंत्री मोदी लगातार उनसे मिलने अस्पताल में जाते रहे। उनके निधन के बाद रात भर में कई बार उनके आवास पर गए। अटल बिहारी बाजपेयी के अंतिम संस्कार के समय प्रधानमंत्री मोदी ने शव यात्रा के साथ करीबन सात- आठ किलोमीटर पैदल चलकर अपने राजनीतिक गुरू को श्रृद्धांजलि दी जिसे पूरे देश ने देखा व सराहा। उससे पूर्व शायद ही कोई प्रधानमंत्री किसी शव यात्रा में इतना पैदल चले होगें। अपने नेता के प्रति मोदी के लगाव ने देश की जनता का दिल जीत लिया था। ऐसा लगाव शायद ही किसी अन्य नेता का हो सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी जब दिल्ली के लाल किले पर 15 अगस्त के दिन देश को संबोधित करने जाते हैं तो लाल किले से अपने भाषण में गांवो में सबके यहां शौचालय उपलब्ध करवाना, देश में स्वच्छता अभियान चलाना, गरीब परिवार की महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देना, देश में सभी लोगों के बैंक में खाता खोलने जैसे सामान्य मुद्दे उठाकर पूरे देश को एक नई दिशा प्रदान कर लोगों का दिल जीत लेते हैं। फिर वो वहां उपस्थित नन्हे बच्चों के पास जाकर उनमें घुलमिल जाते हैं। उनसे बाते करते हैं। वहां मोदी काफी वक्त बच्चों के साथ बिताते हैं।

जब देश में योग दिवस का आयोजन किया जाता है तो प्रधानमंत्री स्वंय आम लोगों के बीच पहुंच कर योग करते हैं व संयुक्त राष्ट्र संघ से योग दिवस को मान्यता दिलाकर पूरे विश्व में भारत का डंका बजाकर देश का मान बढ़ाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से ही गत चार वर्षों से पूरी दुनिया में 21 जून को योग दिवस मनाया जाता रहा है। प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी हर साल दीपावली का पर्व सैनिको के साथ मनाने सीमा पर जाते हैं। कभी वो केदारनाथ की गुफा में तपस्या करते हैं तो कभी काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा अर्चना। मोदी जहां भी जाते हैं वहां सबसे घुलमिल जाते हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण ही वर्षों से लम्बित जीएसटी लागू हो पाया। आज पूरे देश में एक कर प्रणाली लागू है। दुश्मन देश की सीमा में घुस कर पहले सेना द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक फिर एयर स्ट्राइक करना व पाकिस्तान में गिरफ्तार हुये भारतीय वायु सेना के पायलेट अभिनंदन की 48 घंटो में स्वदेश वापसी करवा पाना मोदी जैसे मजबूत इच्छा शक्ति वाले नेता के लिये ही सम्भव है। आर्थिक रूप से पिछड़े स्वर्ण जाति के लोगों को शिक्षा व सरकार नौकरियों में दस प्रतिशत आरक्षण दिलवाने की बात देश में कभी किसी दल के नेता ने नहीं सोची। मोदी ने तो मात्र तीन दिनो में ही इसे हकीकत में कर दिखाया वो भी किसी अन्य वर्ग के आरक्षण को छेड़े बिना।

देश की आजादी के समय से ही जम्मू कश्मीर में जारी धारा 370 व 35 ए को संसद में एक झटके में ही समाप्त कर लद्धाख को जम्मू कश्मीर से अलग केन्द्र शासित प्रदेश बना देना व जम्मू कश्मीर को भी केन्द्र शासित प्रदेश बनाने की शायद ही किसी ने कल्पना की हो। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे हकीकत में कर दिखाया है। धारा 370 व 35 ए के हटने से अब जम्मू कश्मीर का भी देश के अन्य प्रदेशों की तरह विकाश हो सकेगा। वहां के लोगों के रोजगार के नये अवसर मिल सकेगें। इतना ही नहीं धारा 370 व 35 ए हटने के बाद कश्मीर घाटी में कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं हुयी है। अब वहां देश के अन्य राज्यों की तरह सभी कानून लागू होगें व प्रदेश का अलग झंडा भी हटा दिया गया है। वहां रह रहें दलितों को भी लोकसभा व विधानसभा सीटो में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।

जब पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हुआ तो मोदी ने पूरे सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार करवाया। अंतिम संस्कार के समय खुद मौजूद रहे। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का निधन हुआ उस वक्त मोदी बहरीन के दौरे पर थे। उन्होंने बहरीन में आयोजित एक बड़ी सभा को सम्बोधित करते हुये अपने मित्र अरूण जेटली को इतनी भावुकता से याद किया कि सभा में उपस्थित हजारों व्यक्ति भावुक हो उठे थे। वहां उपस्थित हर एक ने अरूण जेटली को याद किया था। विदेशी धरती पर अपने मित्र जेटली को इतनी बड़ी श्रधांजलि मोदी ही दे सकते हैं।

जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने का पाकिस्तान पूरी ताकत से विरोध कर रहा है। दुनिया के हर मंच पर कश्मीर मुद्धा उठाना चाहता है मगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कूटनीति के चलते उसे हर जगह मात खानी पड़ती है। यहां तक की मुस्लिम देशों ने भी कश्मीर से धारा 370 हटाने को भारत का आंतरिक मामला मान कर पाकिस्तान का समर्थन करने से इंकार कर दिया है। कश्मीर मुद्वे पर पाकिसतान पूरी दुनिया में अकेला पड़ चुका है। यह सब मोदी की बदौलत सम्भव हो पाया है।

आलेख:-

रमेश सर्राफ धमोरा

स्वतंत्र पत्रकार