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अपराधियों की चारागाह बनता राजस्थान

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May 21, 2019

- रमेश सर्राफ धमोरा

राजस्थान में इन दिनो अचानक अपराध का आंकड़ा बहुत बढ़ गया है। अलवर जिले के थानागाजी में एक दलित युवती से उसके पति के सामने सामूहिक बलात्कार करने के मामले को पुलिस द्वारा दबाने की घटना से तो राजस्थान सरकार की देश भर में जमकर आलोचना हो रही है। लोकसभा चुनाव के चलते होने वाली बदनामी के डर से राज्य सरकार के दबाव में पुलिस ने मतदान होने तक मामले को दबाये रखा। घटना के कई दिनो तक पुलिस ने पीडि़ता की प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज ना कर चुनाव के बहाने उसे टरकाते रहे। घटना की जानकारी मीडिया में आने के बाद पुलिस के हाथ पांव फूलने लगे व आनन फानन में कार्यवाही की मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

अलवर जिले के थानागाजी के पास 26 अप्रैल को बाजार से सामान खरीदकर आते वक्त मोटर साइकिल पर सवार दलित पति पत्नी को रास्ते में पांच युवक जबरन रोक कर पहले उनकी जमकर पिटाई की व फिर पांचो ने उस दलित महिला के पति के सामने ही उसके साथ बारी-बारी से लगातार तीन घंटो तक सामूहिक बलात्कार किया। बलात्कार के दौरान उसका वीडियो भी बनाते रहे जिसे बाद में सोशल मीडिया पर वायरल भी कर दिया था। महिला व उसके पति ने उन लडक़ो से उनको छोडऩे की बार- बार मिन्नते करते रहे मगर उन्होने उनकी एक ना सुनी। बलात्कार के बाद उन लोगों ने उनसे दो हजार रुपये भी छीन ले गये।

घटना के बीस दिन बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलेट के साथ पीडि़ता से मिलकर उसको न्याय दिलाने का भरोसा देकर गये हैं। मुख्यमंत्री गहलोत ने पीडि़ता को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। मगर मुख्यमंत्री गहलोत के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था कि घटना के बीस दिनो तक वो पीडि़ता से क्यों नहीं मिले? क्यों राहुल गांधी का इंतजार करते रहे। पीडि़त महिला से बलात्कार करने के आरोपी तो पकड़ लिये गये मगर जो घाव उसे मिला है वो सरकारी नौकरी मिलने से भर जायेगा क्याïï? जिन्दगी भर वह खौफनाक मंजर रह-रह कर उसकी आंखों के सामने घूमता रहेगा जिसे वह कैसे भूला पायेगी।

राजस्थान में जनवरी माह से अपराधो में अचानक से तेजी आयी है। भाजपा की पूर्व सरकार पर आरोपो की बोछार करने वाली कांग्रेस आज खुद की सरकार में अपराधो पर लगाम लगाने में नाकामयाब रही है। प्रदेश में कानून व्यवस्था एक दम कमजोर हो रही है। अपराधी तत्वों का बोलबाला हो रहा है। गत दिनो सीकर जिले में सरेआम दुल्हन का अपहरण कर लिया गया था। आये दिन बलात्कार की घटनायें घट रही है। झुंझुनू जिले की उदयपुरवाटी तहसील क्षेत्र में एक माह में दस बलात्कार की घटनायें होना सरकार व पुलिस की नाकामयाबी ही दर्शाता है। अलवर के थानागाजी में हुए सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद से ही ऐसे मामलों की बाढ़ सी ही आ गई है। रेप की लगातार हो रही इन घटनाओं ने राजस्थान को झकझोर कर रख दिया है।

राजस्थान में 8 अप्रैल को राजस्थान रोड़वेज की बस में कंडक्टर ने युवती से छेड़छाड़ करता है। 10 अप्रैल को जोधपुर से जैसलमेर आते समय ओसिया के पास विदेशी महिला से ट्रेन के अन्दर छेड़छाड़ की गयी थी। 11 अप्रैल को मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र जोधपुर के देचू थाना क्षेत्र में सरेआम शिक्षिका पर तेजाब फेंका गया था। वहीं गैंगरेप के मामले में पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने पर जयपुर के झोटवाड़ा थाने क्षेत्र में एक युवती ने आत्महत्या की कोशिश की थी। 25 अप्रैल को अशोक गहलोत की गृह क्षेत्र जोधपुर के बोरनाड़ा थाना इलाके में किशोरी का अपहरण करके उसका बलात्कार किया गया था।

बूंदी जिले के  नैनवा में अन्दर 9 वीं की छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया था। 28 अप्रैल को दौसा के सदर थाना इलाके में एक युवक ने 8 वर्षीय बालिका को बहला-फुसलाकर सुनसान जगह पर ले जाकर बलात्कार किया। 30 अप्रैल को अलवर में 4 साल की मासूम बच्ची के साथ निजी स्कूल के वैन चालक ने बलात्कार किया था। डूंगरपुर में पुलिस ने सेवानिवृत एक महिला पुलिसकर्मी से रेप का प्रकरण दर्ज किया है। 21 अप्रैल को जयपुर के जवाहर नगर थाने में युवती की अश्लील फोटो के नाम पर ब्लैकमेल करने का मामला दर्ज हुआ।

22 अप्रैल को जयपुर ब्रम्हापुरी थाने इलाके साढ़े पांच साल की मासूम से किशोर के बलात्कार का मामला सामने आया। 25 अप्रैल को जयपुर के विश्वकर्मा थाने में एक श्रमिक महिला ने बलात्कार का मामला दर्ज करवाया। 26 अप्रैल को अलवर के सदर थाना क्षेत्र के राजकीय प्राथमिक स्कूल में शिक्षक ने 4 साल की बच्ची और 10वीं की बच्चियों से अश्लील हरकत की। उसके खिलाफ बलात्कार के प्रयास का मामला दर्ज हुआ। बीकानेर में एक महिला को किराए पर सस्ता मकान दिलाने के नाम पर उसके साथ पांच लोगों ने सामुहिक बलात्कार किया है। पीडि़ता की शिकायत के बाद बीकानेर के सदर थाने में मामला दर्ज किया गया है। महिला का आरोप है कि आरोपियों ने घटना के दौरान उसके अश्लील फोटो और वीडियो बना लिए है। जिसे बाद में वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल कर रहे हैं। नागौर में गैस कनेक्शन देने के बहाने दलित महिला की अस्मत लूटी गई।

राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस सामूहिक दुष्कर्म घटना को प्रदेश के लिए बेहद शर्मनाक बताया है। उन्होंने कहा है कि ऐसे जघन्य अपराध कांग्रेस सरकार के महिला और बेटियों को सुरक्षित माहौल देने के दावों की पोल खोल रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष अलका सिंह ने कहा कि राजस्थान में जबसे कांग्रेस सरकार बनी है कानून व्यवस्था बिगड़ती जा रही है और 47 प्रतिशत अपराध बढ़ गए हैं। सिंह ने कहा कि इनमें 16 प्रतिशत महिलाओं से संबंधित अपराध बढ़े हैं। कांग्रेस की सरकार बनने के बाद कानून व्यवस्था चौपट हो गई है और अब आमजन में डर और अपराधियों में विश्वास की बात हो रही है। पूरे राजस्थान में अराजकता का माहौल बना हुआ है।

2018 के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने उस वक्त की भाजपा सरकार को प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था के नाम पर खूब घेरा था। कांग्रेस के नेताओं ने प्रदेश की जनता से विशेष कर महिलाओं को पूरी सुरक्षा देने के नाम पर वोट लेकर कांग्रेस की सरकार बनायी थी। मगर मौजूदा स्थिति को देखने से लगता है कि प्रदेश में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार महिलाओ की सुरक्षा करने वाला अपना चुनावी वादा भूल गयी लगती है। तभी महिला प्रताडऩा की लगातार हो रही घटनाओं पर रोक लगा पाने में नाकाम रही है। चुनाव पूर्व प्रदेश में जगह-जगह लगाये गये कांग्रेस के होर्डिगं पर राहुल गांधी के साथ अशोक गहलोत व सचिन पायलेट की बड़ी-बड़ी फोटो के साथ नारी को मिलेगा सम्मान लिखा गया था मगर प्रदेश में आज ना वो होर्डिग नजर आ रहें हैं ना ही नारी को सम्मान मिल रहा है।

बेटियों का अपमान नहीं भूलेगा राजस्थान। महिला सुरक्षा के इसी मुद्दे पर वोट लेकर पांच माह पहले राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में आई थी। आज पांच माह बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद उसी कटघरे में खड़े हैं जहां उन्होंने पिछली वसुंधरा राजे सरकार को चुनाव में खड़ा करने की कोशिश की थी। अलवर में महिला के साथ हैवानियत और उसके बाद की पूरी कहानी ही गहलोत सरकार की महिला सुरक्षा के प्रति सोच पर सवालिया निशान खड़े कर रही है। क्योंकि मामला केवल पुलिस की लापरवाही का नहीं है बल्कि बदमाशों के गुनाहो पर पर्दा डालने का भी है।

इस तरह की घटनाओं के बाद महज कुछ पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों को उनके पदो से हटा देने से ऐसे जघन्य अपराध रूकने वाले नहीं है। जब तक नीचे से लेकर उपर के स्तर के अधिकारी, कर्मचारियों की अपराधो को लेकर सामूहिक जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की जायेगी तब तक प्रदेश में कानून का इकबाल बुलन्द होना मुश्किल नजर आ रहा है।

आलेख:-

रमेश सर्राफ धमोरा झुंझुनू,राजस्थान 9414255034

स्वतंत्र पत्रकार