Apr 8, 2024
क्या इस बार नाथ की घेराबंदी से खिलेगा कमल !
भोपाल। मप्र में वीवीआईपी लोकसभा सीटों की कमी नहीं है, लेकिन इनमें भी सबकी निगाहें पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की विरासत वाली सीट छिंदवाड़ा पर टिकी हैं, वजह भाजपा द्वारा यहां चलाया जा रहा आपरेशन लोटस है, जिसमें कमलनाथ को लगातार झटके लग रहे हैं, उनके कई करीबियों को भाजपा ने कमल का बनाकर नाथ से अलग कर दिया है। मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा कांग्रेस का एकमात्र ऐसा गढ़ है, जहां बीते 17 लोकसभा चुनाव में से सिर्फ एक बार ही कांग्रेस हारी है। भाजपा इस लोकसभा चुनाव में मप्र से क्लीनस्वीप करने की रणनीति से काम कर रही है। इसीलिए हाइकमान ने यहां पार्टी के बड़े नेताओं की ड्यूटी लगाई। भाजपा इस सीट से कांग्रेस के गढ़ का तमगा हटाना चाहती है।
प्रत्याशी परिचय
भाजपाः बंटी साहू
कमलनाथ के करीबी पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना के समर्थक बंटी साहू ने करीब डेढ़ दशक पहले भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा में आने के बाद साहू युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष सहित अन्य पदों पर रहे। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कमलनाथ के खिलाफ साहू को मैदान में उतारा था, हालांकि साहू चुनाव जीतने में नाकाम रहे, किंतु मुख्यमंत्री रहते कमलनाथ के इस चुनाव में जीत का अंतर कम रह गया। इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा हाइकमान ने फिर से साहू पर भरोसा जताया है।
कांग्रेसः नकुलनाथ
70 के दशक से छिंदवाड़ा में एकछत्र राज करने वाले कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ 2019 के पहले तक राजनैतिक परिचय इतना ही था कि वे कमलनाथ के पुत्र हैं। 2018 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद जब कमलनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब 2019 के लोकसभा चुनाव में नकुलनाथ ने पहली बार चुनावी मैदान में जोरआजमाइश की। कांग्रेस की टिकट पर पहला चुनाव लड़े नकुलनाथ हालांकि 40 हजार मतों से ही चुनाव जीत सके, परंतु मप्र में कांग्रेस की नाक बचाने में कामयाब होने का सेहरा नकुलनाथ के सिर पर ही बंधा, क्योंकि मोदी लहर के इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता और सिंधिया राजघराने के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया भी गुना से चुनाव हार गए थे।
छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र
छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में छिदवाड़ा और पांढुर्ना जिले की 7 विधानसभा सीटों को लेकर बना है। इन सात विधानसभा सीटों में छिंदवाड़ा, अमरवाड़ा, चौरई, परासिया, पांढुर्ना, जुन्नारदेव, सौंसर शामिल हैं।
छिंदवाड़ा लोकसभा का इतिहास
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट देश की उन चुनिंदा सीटों में शामिल हैं, जहां पर कांग्रेस लोकसभा को कोई भी आम चुनाव नहीं हारी है, कांग्रेस को सिर्फ एक चुनाव में हार मिली थी, वह भी 1997 का लोकसभा उपचुनाव था, जिसमें कमलनाथ ने अपनी पत्नी अलकानाथ का इस्तीफा दिलाकर खुद चुनाव लड़े थे। और इस चुनाव में भाजपा ने अपने सबसे कद्दावर नेता पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को मैदान मे उतारा था। तब पूरी भाजपा यहां मैदान में उतर आई थी। रोमांचक चुनाव में कम अंतर से पटवा ने कमलनाथ को चुनाव हराया था। हालांकि बाद में हुए आम चुनाव में कमनलाथ ने इस हार का बदला लिया और पटवा को चुनाव हराय़ा था। इस लोकसभा से सर्वाधिक मर्तबा कमलनाथ सांसद चुने गए हैं। एक बार उनकी पत्नी अलकानाथ और पिछला चुनाव उनके पुत्र नकुलनाथ चुनाव जीते थे। कमलनाथ को पहली बार जब छिंदवाड़ा से चुनाव मैदान में उतारा गया था तब इंदिरा गांधी स्वयं उनका प्रचार करने आई थीं और सभा में बोला था कि कमलनाथ उनके तीसरे बेटे हैं। तब से ही नाथ यहां लगातार चुनाव जीतते आ रहे है। इधर, भाजपा ने इस चुनाव में कांग्रेस के इस किले को फिर से ढहाने की पूरी तैयारी की है। इस चुनाव में कमलनाथ के कई करीबियों को भाजपा तोड़ चुकी है। छिंदवाड़ा के महापौर, अमरवाडा के विधायक, छिंदवाड़ा के पूर्व विधायक सहित कई पदाधिकारी व नगरीय व पंचायत के जनप्रतिनिधि भाजपा में शामिल हो चुके हैं। भाजपा की कोशिश है कि 1997 की तरह यहां घेराबंदी कर कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ को भी चुनाव हराया जाए। इस सीट पर भाजपा हाइकमान की भी नजर है। भाजपा ने इसे देश की आकांक्षी सीटों में शामिल किया है।
मतदाता
छिंदवाड़ा लोकसभा में 16 लाख 28 हजार मतदाता हैं। इसमें पुरुष मतदाता 8 लाख 22 हजार एवं महिला मतदाता 8 लाख 5 हजार है। वहीं थर्ड जेंडर के 11 मतदाता हैं।