Loading...
अभी-अभी:

ढाई हजार फीट की ऊंचाई से ऐतिहासिक दुर्लभ गणेश प्रतिमा गायब

image

Jan 27, 2017

जगदलपुर/ रायपुर। दंतेवाड़ा जिले में ढाई हजार फीट ऊंचाई पर ढोलकाल की पहाड़ी पर स्थित ऐतिहासिक गणेश प्रतिमा एकाएक गायब हो गई। बाद में पहाड़ी के नीचे खाई में यह प्रतिमा खंडित अवस्था में पाई। प्रतिमा गायब होने के बारे में 26 जनवरी को तब पता चला, जब कुछ लोग इसके दर्शन के लिए बेलाडीला पहाड़ी पर पहुंचे। ग्रामीणों से जानकारी करने पर पता चला कि दो-तीन दिन पहले इस पहाड़ी के ऊपर हेलीकॉप्टर मंडरा रहे थे। आशंका है कि या तो इस प्रतिमा की चोरी करने का प्रयास किया गया है या इसे जानबूझकर खंडित करने की कोशिश की गई है। ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और उसे प्रतिमा खाई में मिली। पुलिस सूत्रों के कहना है कि संभवत: पहाड़ी से नीचे खाई में गिरने से प्रतिमा खंडित हुई है। लेकिन ग्रामीणों का मानना है कि प्रतिमा को चोरी करने की कोशिश की गई, इसमें नाकाम होने पर वह पहाड़ी से नीचे गिरा दी गई। इस संवेदनशील मसले की तह तक जाने कलक्टर सौरम कुमार व एसपी कमलोचन कश्यप सहित अन्य ग्रामीण ढोलकाल के लिए रवाना हो गए हैं।

ढोलकाल की पहाड़ी पर साढ़े तीन फीट ऊंची काले ग्रेनाईट से बनी इस गणेश की प्रतिमा के अपने स्थान से गायब रहने की तस्वीरें सुबह से ही सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। सुबह प्रशासन व पुलिस ने मामले को गंभीर मानते पहाड़ी की ओर निकले हैं। ढोलकाल की पहाडिय़ों तक पहुंचने के लिए दंतेवाड़ा से फरसपाल व वहां से ढोलकाल जाया जाता है। करीब 27 किमी की दूरी में से सात- आठ किमी जंगल की पगडंडियों के सहारे गुजरना होता है। इसके बाद ढाई हजार फीट की ऊंचाई पर इस दिव्य प्रतिमा के दर्शन होते थे। काले ग्रेनाईट पत्थर से निर्मित ललीता आसन में गणेश की प्रतिमा करीब 1 हजार साल पुरानी है। मान्यता है कि इस पहाड़ पर परशुराम व गणेश का युद्ध हुआ था। इस दौरान गणेश का एक दंात टूट गया था। इसलिए इस गांव का नाम फरसपाल रखा गया।

किवदंतियां हैं कि ढोलकल शिखर पर गणेश प्रतिमा के बगल वाली पहाड़ी पर भगवान शिव की प्रतिमा थी। वहीं कुछ दूर एक और पहाड़ी शिखर पर सूर्यदेव की प्रतिभा की स्थापना भी 10 वीं व 11 वीं शताब्दी में कराई गई थी। भगवान शंकर व सूर्यदेव की प्रतिमाएं तस्करों की भेंट चढ़ चुका है। फिलहाल इन स्थानों मे केवल पत्थरों के अवशेष ही शेष रह गए हैं। दक्षिण बस्तर के बैलाडीला की पहाड़ी श्रृंखलाओं में से एक ढोलकल नामक पहाड़ी चोटी पर सैकड़ों वर्ष पुरानी गणेश जी की दुर्लभ प्रतिमा स्थित है। इस स्थल की विशेषता यह है कि यहां प्रकृति और प्राचीन समृद्ध संस्कृति का अद्भुत मेल देखने को मिलता है। लगभग दो हजार पांच सौ 92 फीट की ऊंचाई पर गणेश जी की यह दुर्लभ प्रतिमा जो कि ललितासन में है।पुरात्वविदों का मानना है कि इस प्रतिमा की स्थापना छिदंक नागवंशी राजाओं कराई थी। इसके इर्दगिर्द सूर्य व शिव की प्रतिमा भी स्थापित थी। लेकिन वर्तमान में यहां अब अवशेष ही शेष हैं। ढोलकल शिखर की खोज स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा हुई थी। पर्यटन मंडल को भी इसकी जानकारी है। लेकिन पर्याप्त प्रचार व सुविधाओं के अभाव में यह सुंदर स्थल आज भी लोगों की नजर से ओझल है।