Nov 14, 2017
सतना : लगभग तीन साल पहले छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में प्रोटोकॉल की अनदेखी के बाद नसबंदी से हुई 18 महिलाओं की मौत के बाद भी स्वास्थ्य महकमा सबक लेने को तैयार नहीं है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग से मिले परिवार नियोजन के भारी भरकम टारगेट को पूरा करने के लिए हेल्थ डिपार्टमेंट ने प्रोटोकॉल को भी ताक पर रख दिया।
मध्यप्रदेश में सतना के नागौद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में महिलाओं की थोक में नसबंदी करने के बाद उन्हें फर्श में दरी बिछाकर लिटा दिया गया। इतना ही नहीं नसबंदी के बाद महिलाओं को अस्पताल के सुरक्षाकर्मी उठाकर वार्ड तक लाए।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का यहां उत्कृष्ट नमूना है। यूं तो सतना जिले के स्वास्थ्य महकमे को अप्रैल महीने में ही पूरे साल के लिए 20 हजार नसबंदी करने का टारगेट मिल गया था, मगर सर्दियों के दिनों में नसबंदी करने और कराने वालों की होड़ लग जाती है।
सर्दियों में नसबंदी करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने बाकायदा कैम्प कैलेण्डर जारी किया किया है। इसी कड़ी में नागौद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सोमवार को एलटीटी कैम्प लगाया गया था। यहां सर्जन डॉ सुधीर सिंह की ड्यूटी लगाई गई थी।
टारगेट पूरा करने के चक्कर में इस सीएचसी 41 महिलाओं का एलटीटी ऑपरेशन किया गया, मगर किसी भी महिला को एक पलंग नसीब नहीं हुआ। सभी महिलों को लाइन से फर्श में बिछी दरी पर लिटाकर कंबल से ढक दिया गया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ डीएन गौतम का कहना है कि एक ही समय पर 30 महिलाओं का एलटीटी ऑपरेशन करने का प्रोटोकॉल में निर्देश है। प्रोटोकॉल का पूर्णतः पालन करके ही एलटीटी की जानी चाहिए। इसकी जानकारी सोमवार रात को कुछ लोगों ने दी है। इस सम्बन्ध में बीएमओ से पूछताछ भी की है।
उन्होंने कहा कि कोई कमरे का रिपेयर हो रहा था। चूंकि केस आ गए थे, इसलिए दरी बिछाकर निःसंदेह कंबल वगैरह बाकी व्यवस्था करके नसबंदी की है। यह बात सही है कि उन्हें पलंग मुहैया नहीं कराया गया।
पलंग भी देना चाहिए था। इसके लिए उनको सख्त निर्देश भी भेज दिया है। कोई भी परिवार नियोजन की सर्जरी में पूर्णतः प्रोटोकॉल का पालन होना चाहिए। वो चाहे ओटी में हो, चाहे पोस्ट ओप्रेटिव हो।