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किसानों की सहायता के लिए आया ट्रैक्टर पुर्जे-पुर्जे में बिका

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Sep 18, 2017

देवास : बागली तहसील के ग्राम बेहरी की आदिम जाती सेवा सहकारी संस्था बेहरी  में किसानों के नाम पर बड़ी धांधली सामने आई हैं। विगत 4 वर्ष पूर्व गरीब तपके के  किसानों के खेतों के लिए हकाई, जुताई एवं बोवनी हेतु देवास जिले में कस्टम हारवेस्टिंग  योजना के तहत बेहरी संस्था को उच्च गुणवत्ता युक्त ट्रैक्टर एवं कृषि उपकरण दिए गए थे।

इसके पीछे शासन का उद्देश्य यह था कि क्षेत्र के किसान जो गरीब तबके से आते हैं, जिनके पास ट्रैक्टर सुविधा नहीं हैं, वह किसान हकाई, जुताई एवं बोवनी संस्था के माध्यम से मिले ट्रैक्टर से करवा लें। इसमें न्यूनतम शुल्क 230  रुपए प्रति घंटा में ड्राइवर के साथ रखा गया था।

बेहरी संस्था पर फोर्ड ट्रैक्टर एवं उन्नत किस्म के कृषि यंत्र उपकरण में कल्टीवेटर सीरियल पुलाव प्लांटर आदि सहकारी संस्था में आए, लेकिन संस्था के सेक्रेटरी की लापरवाही के चलते यह ट्रैक्टर धीरे-धीरे खत्म हो गया हैं।

वर्तमान में ट्रैक्टर के पुर्जे-पुर्जे में उसके चहेतों के घर पहुंच गए हैं। वर्तमान में यह हालत हैं कि ट्रैक्टर नाम मात्र का दिखाई दे रहा हैं। इसके सारे उपकरण इधर-उधर चले गए। वहीं टायर ट्यूब बैटरी, डीजल, पम्प  सहित इंजन के महत्वपूर्ण सामान भी अदला-बदली किया जा चुके हैं।

क्या कहते हैं किसान

क्षेत्र के किसान राजेंद्र पाटीदार ने बताया कि उक्त ट्रैक्टर का उपयोग शुरू-शुरू में चहेते लोगों के खेतों में किया, लेकिन धीरे-धीरे इसके सामान इधर-उधर बताकर किसानों का काम नहीं किया गया। संस्था के ही अध्यक्ष राकेश पटेल ने कहा कि हमने संस्था सेक्रेटरी एवं प्रशासन को पत्र लिखकर मांग की थी।

उक्त ट्रैक्टर के लिए सहकारी संस्था की समिति को ही प्रमुख बनाकर संचालन करवाया जाए, ताकि वास्तविक किसानों के यहां हकाई जुताई का काम बखूबी किया जा सके, लेकिन संस्था सेक्रेटरी की मनमानी के चलते यह हो नहीं सका और शासन की महति योजना को जिम्मेदारों ने पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोडी हैं।

इस योजना के तहत 12 लाख रुपए  का ट्रैक्टर वर्तमान में कौड़ी के दाम हो गया हैं। यह ट्रैक्टर अभी भी एक बाडे में खड़ा हुआ हैं, जो अस्त-व्यस्त हैं। इस संबंध में संस्था का सेक्रेटरी झूठ बोल रहा हैं। सेक्रेटरी दुलीचंद मिश्रा ने बताया कि  ट्रैक्टर 65 हॉर्स पावर का आया, लेकिन साथ आए यंत्र कमजोर होने के चलते यह सब किसी काम के नहीं हैं। जबकी बेहरी संस्था से आदिवासी वर्ग के किसान बड़ी संख्या में जुड़े और आज संस्था की लापरवाही के कारण उन्हें लाभ नहीं मिल पाया हैं।