Loading...
अभी-अभी:

जंग लगे सिलेंडरों से हो रही ऑक्सीजन सप्लाई, हो सकता हैं बड़ा हादसा

image

Sep 16, 2017

सतना : जिला अस्पताल में लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया हैं। गोरखपुर ऑक्सीजन कांड से भी अस्पताल प्रबंधन सबक लेने को तैयार नहीं। अस्पताल प्रबंधन जीवन रक्षक ऑक्सीजन की आपूर्ति पर लापरवाही बरत रहा। 

यहां ऑक्सीजन सिलेंडरों में ऑक्सीजन की न तो कभी गुणवत्ता नापी जा रही और न ही उचित रख रखाव हो रहा। ऐसे में सबसे ज्यादा खतरा उन नवजात शिशु इकाई में भर्ती नवजातों की हैं, जो जीवन रक्षक ऑक्सीजन में रखे जाते हैं। 

सतना जिला अस्पताल में नवजात शिशु गहन इकाई में आए दिन नवजातों की सांसे रुक रही। पिछले आठ माह में 9 सौ 67 बच्चों की मौत हो चुकी हैं। इसके बाद एतियातन कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। ये मौते किस वजह से हो रही हैं, कभी भी कारण सामने नहीं आए। सिर्फ गंभीर बच्चे और प्री मैच्योर बेबी होने की बात कह कर जिला अस्पताल प्रबंधन चुप्पी साध लेता हैं।

 गंभीर मरीजों और नवजातों को कृतिम ऑक्सीजन की जरूरत रहती हैं, जो जीवन रक्षक होती हैं, मगर जीवन रक्षक ऑक्सीजन को लेकर जिला अस्पताल संवेदन शील नहीं हैं। ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाली एसबीआर नाम की निजी कंपनी बिना ऑक्सीजन की गुणवत्ता परीक्षण के पिछले तीन साल से ऑक्सीजन सप्लाई कर रही हैं। 

जंग लगे सिलेंडरों में ये सप्लाई हो रही। इन सिलेंडरों में कितनी मात्रा में ऑक्सीजन हैं और ऑक्सीजन में कितनी तादात में कार्बन डाई ऑक्साइड हैं, इतना तक पता नहीं लगाया जा रहा। सतना जिले के इकलौते अस्पताल में बरती जा रही इस घोर लापरवाही को लेकर अस्पताल प्रबंधन कुछ बोलने को तैयार नहीं।

वहीं प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष ने इस मामले पर सरकार को घेरा। अजय सिंह राहुल ने आरोप लगाया कि पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई हैं। जांच के नाम पर लीपापोती हो रही हैं। सतना जिला में ऑक्सीजन की गुणवत्ता की परख न होने पर कहा कि प्रबंधन और सरकार शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही हैं।

सतना जिला अस्पताल में ऑक्सीजन को लेकर बर्ती जा रही लापरवाही पर सरकार भी गंभीर नजर नहीं आ रही। गुरुवार की शाम प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया, पर इस मामले पर गंभीर नजर नहीं आए। मीडिया द्वारा पूछे गए सवाल पर मंत्री ने गोलमोल जबाव देकर पूरे मामले से पल्ला झाड़ते नजर आए।

वही इस गंभीर मामले में आखिरकार अस्पताल प्रबंधन मीडिया के सामने आया और ऑक्सीजन की क्वालिटी और क्वांटिटी के लिए ऑक्सीजन सप्लायर एजेन्सी पर पूरी जिम्मेदारी सौंप दी। जिला अस्पताल अधीक्षक ने तर्क दिया कि न तो कभी सप्लायर ने गुणवत्ता प्रमाण पत्र दिया और न ही अस्पताल प्रबंधन ने इसकी जरूरत महसूस की। 

अस्पताल अधीक्षक की माने तो जिला अस्पताल में अभी तक ऑक्सीजन को लेकर कोई शिकायत नहीं आई हैं। अस्पताल प्रबंधन ने ये भी खुलासा किया कि जिला अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए कोई अलग से तकनीशियन नहीं। नर्स, वार्ड ब्याय, आया और सिक्योरिटी मैन ऑक्सीजन की सप्लाई करते हैं, वो इस काम में दक्ष भी हैं।

बहरहाल पिछले तीन सालों से सतना के एसआरबी इंडस्ट्री जिला अस्पताल में ऑक्सीजन गैस सिलेंडरों की सप्लाई का काम कर रहा, पर आज तक गुणवत्ता प्रमाण पत्र नहीं जमा किया। दो साल से कोई नया टेंडर भी नहीं हुआ।

जिला अस्पताल प्रबंधन ने तीन साल पहले के टेंडर को हर साल कंटीन्यू कर रहा। ऐसे में जिला अस्पताल और कंपनी की सांठ-गांठ कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकती हैं।