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जलसंकट से जूझता ग्वालियर, कारखानों में नहीं होगा पानी का उपयोग

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Aug 7, 2017

ग्वालियर : सावन बीतने के साथ ही मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर को जिला प्रशासन ने सूखा घोषित कर दिया है। साथ ही नल खनन पर रोक लगा दी है। ऐसे में नगर निगम ने जलसंकट से जूझते ग्वालियर में पानी की पूर्ति चंबल नदी से पानी लाकर की जाएगी। लेकिन इस प्रोजेक्ट पर खर्च कम करने के लिए मुरैना तक मंजूर हो चुकी पाइप लाइन को आधार बनाएगी। इसके लिए अगले 15 दिन में फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। मतलब साफ है कि निर्माणाधीन बिल्डिंग, धुलाई सेंटर, कारखानों में पानी का उपयोग अब नहीं हो सकेगा।

एडीएम शिवराज सिंह वर्मा का कहना है कि ग्वालियर जिला जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। जल अभावग्रस्त घोषित होने के बाद अब ग्वालियर में नलकूप खनन करने पर पूर्णत रोक लगा दी गयी है। साथ ही उल्लंघन करने पर 2 साल की सजा होगी।

पीएचई व नगर निगम के अधीक्षण यंत्री ने जिला प्रशासन को दो दिन पहले प्रस्ताव भेजा था। इसमें कहा गया कि ग्वालियर जिले में अल्प वर्षा से पानी का संकट पैदा हो सकता है। प्राइवेट बोरिंग के खनन पर रोक लगा दी जाए। इसी आधार पर प्रशासन ने बोरिंग खनन पर रोक लगा दी है। अब मौजूदा पानी का उपयोग केवल घरेलू लोग ही कर सकेंगे। इस आदेश के बाद पानी का व्यावसायिक उपयोग करने या फिर चोरी छुपे नलकूप खनन कराने पर दो साल तक की जेल हो सकती है। इसके अलावा दो हजार रुपए का अर्थ दण्ड भी लगाया जा सकता है।

वहीं ग्वालियर जिला सूखा घोषित होने के बाद चंबल नदी से पानी लाने की कवायद तेज हो चुकी है। कंसलटेंट कंपनी डीपीआर तैयार कर रही है। नगर निगम की कोशिश है कि मुरैना की सप्लाई लाइन से ही ग्वालियर तक पानी लाया जा सके। ताकि खर्च और पानी बर्बादी पर कंट्रोल हो सकेगा। फिलहाल नगर निगम कंपनी की डीपीआर का इंतजार कर रही है। मेयर विवेक शेजवलकर का कहना है कि कई विभाग है, जिनसे एनओसी ले रहे है, मुरैना तक पानी आ रहा है, कोशिश करेंगे वहां से पानी लाने की, ऐसा भी देख रहे है कि मुरैना से सीधे ले, या फिर चंबल नदी से ले।

कैसे आएंगा चंबल नदी से ग्वालियर पानी....

चंबल नदी के पुराने पुल से करीब 1 किमी अंदर अल्लाबेली पर इंटकवेल बनाया जाएगा। वहां से मुरैना तक की दूरी करीब 30 से 35 किमी है। इतनी लाइन बिछाने के लिए जमीन अधिग्रहण सहित पाइप लाइन का डाया बढ़ाने से भी 30 करोड़ की बचत होगी। चंबल नदी से पानी लाने के लिए मेहता एंड मेहता एसोसिएट द्वारा 15 दिन में फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जबकि डीपीआर डेढ़ माह में बनेगी। इसके बाद इस रिपोर्ट को केंद्रीय शहर विकास मंत्रालय को भेजी जाएगी। 

इंटकवेल : इंटकवेल निर्माण पर लगभग 10 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। ग्वालियर-मुरैना के लिए एक ही इंटेकवेल बनाने पर यह खर्च बचेगा। एप्रोच ब्रिज : इंटकवेल तक पहुंचने के लिए लगभग 500 मीटर लंबा और 6 मीटर चौड़ा एप्रोच ब्रिज भी बनाना होगा। इसकी निर्माण लागत लगभग 7 करोड़ रुपए होगी। एक ही इंटकवेल बनने से ये खर्च भी बचेगा।

ग्वालियर जिला सूखा होने के बाद चंबल नदी से मुरैना, नूराबाद, बानमोर होते हुए पाइप लाइन के जरिए ग्वालियर तक पानी लाने की प्लानिंग तैयार हो रही है। इस प्लानिंग में एक बड़ी चुनौती ये भी सामने आ रही है कि करीब 65 किलोमीटर की दूरी में पानी की चोरी कैसे रोकी जाए? क्योंकि, इतनी दूरी के बीच आबादी के अलावा दो बड़े इंडस्ट्रियल एरिया सीतापुर और बानमोर भी हैं। जिनमें पानी चोरी की संभावना ज्यादा है। फिलहाल चंबल से ग्वालियर पानी कब तक पहुंचता है ये देखने वाली बात होगी। - ग्वालियर से एक्सप्रेस रिपोर्टर विनोद शर्मा