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दूध में मिलावट करने वालों पर कार्रवाई से सांची में मचा हड़कंप

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Nov 2, 2017

इंदौर : सांची के दूध में मिलावट करते हुए पकड़े जाने का मामला सामने आने के बाद सांची प्लांट के अधिकारियों में भी हडकंप मच गया है। सांची प्रबंधन अपने आपको बचाने के तमाम प्रयासों में जुट गया है। आनन-फानन में प्लांट के लैब इंचार्ज और उसके 2 सहायकों को सस्पेंड कर मिलावट के इस काम को सांची के खिलाफ षड्यंत्र बता रहे हैं।

प्रबंधन का दावा है कि दूध में मिलावट का प्रयास पहली बार हुआ है, जिसको भी पुलिस ने रोक लिया। जबकि पुलिस का दावा है कि जिस स्थान पर कार्रवाई की गई है, वहां से पिछले 15 दिनों से यह गोरखधंधा किया जा रहा है। अब सांची के अधिकारी अपने ही बयानों में उलझते नजर आ रहे है।

मंगलवार रात इंदौर पुलिस ने क्षिप्रा थाना क्षेत्र के मंगलिया सेंटर पॉइंट चौराहे के नजदीक स्थित गोदाम पर छापा मार कार्रवाई करते हुए सांची प्लांट में आने वाले दूध के टैंकर में सोडियम क्लोराइड मिलाते हुए 7 लोगों को रंगे हाथ पकड़ा है।

यह गोरखधंधा सांची प्लांट में दूध का ट्रांसपोर्ट करने वाले सुखविंदर सिंह देवल द्वारा अपने भतीजे सुखबीर के साथ मिलकर किया जा रहा था। ये दोनों सांची में आने वाले 12 हजार लीटर के टैंकर से 2 हजार लीटर से अधिक दूध निकालकर उसमें पानी के साथ सोडियम क्लोराइड मिलकर डाल रहे थे, जबकि टैंकर से निकाला गया दूध सत्येन्द्र सिंह और राकेश गिरी द्वारा देवास और बगली में दूध डेरियों को बेचने के लिए भेजा जा रहा था।

पुलिस की माने तो आरोपियों ने पूछताछ में कबूल किया है कि वे पिछले 15 दिनों से इसी गोदाम पर मिलावट का काम कर रहे है। सांची प्लांट के सीईओ एएन द्विवेदी के मुताबिक सांची के दूध में मिलावट संभव नहीं है। दूध के सैम्पल हर स्थान पर लिए जाते है। ऐसे में प्लांट में आते ही मिलावट वाला दूध पकड़ा जाता है।

द्विवेदी का दावा है कि ऐसा पहली बार ही हुआ है जब सांची के दूध में इस तरह से मिलावट का प्रयास किया गया है। सांची के लिए मिल्क कलेक्शन सेंटर से दूध लाने वाले हर टैंकर पर जीपीएस की मदद से निगरानी रखी जाती है, लेकिन जो टैंकर पकड़ा गया है, उसका जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम मंगलवार शाम 7 बजे के बाद से खुडैल में बंद हुआ था, जो फिर शुरू नहीं हुआ। 

फिर भी सांची प्लांट के मिल्क टेस्टिंग लैब के इंचार्ज संदीप और उसके 2 सहायकों को संस्पेंड कर दिया गया है। इसके साथ ही सांची में अपने 6 टैंकर की मदद से मिल्क पहुंचाने वाले सुखविंदर सिंह के खिलाफ एफआईआर करवाते हुए उसकी कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है।

सांची के अधिकारियों की बात पूरी तरह से पुलिस द्वारा ही खारिज कर दिया गया है। इसके आलावा उन पर सवाल इसलिए भी खड़े होते है, क्योंकि सुखविंदर सिंह इस तरह से दूध में मिलावट करते हुए कुछ महीनों पहले ही पीथमपुर में पकड़ाया था, इसके बावजूद सांची के अधिकारियों ने उसे ब्लैक लिस्टेड नहीं किया और नतीजन वह इंदौर सांची प्लांट के दूध में मिलावट करने लगा।

कैसे काम करता है सांची का सिस्टम समझते है

ग्रामीण इलाकों में पंजीकृत दुग्ध सहकारी संघ बनाए गए हैं। जहां किसान अपने मवेशियों का दूध जमा करवाते हैं। 53 गांव से चिलिंग सेंटर बीएमसी (बल्क मिल्क कलेक्शन) तक दूघ पहुंचाने का काम अलग ठेकेदार करता हैं।

बीएमसी से सांची प्लांट तक दूध लेकर आने वाले टैंकरों की मॉनिटरिंग के लिए उनमें जीपीएस सिस्टम लगाया गया हैं। दूध की गुणवत्ता की जांच और रखरखाव के लिए ग्रामीण इलाकों में हर सेंटर पर 8 लाख कीमत की मशीन लगाई गई हैं।

कलेक्शन सेंटर से लेकर प्लांट तक सभी स्थानों पर दूध का फैट, मात्रा और एसएनएफ चेक किया जाता हैं। सांची प्लांट पर टैंकर पहुंचने के बाद गेट पर सुरक्षा गार्ड, मैनेजर और लैब टेक्निशियन के जरिए दूध के सैंपल की जांच की जाती हैं।

लैब की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही दूध से भरे टैंकर को प्लांट के अंदर जाने दिया जाता हैं। सांची रोजाना मालवा निमाड़ इलाके के नौ जिलों में ढाई लाख लीटर दूध बेचता हैं। दूध की गुणवत्ता के लिए उसके फैट, मात्रा और एसएनएफ की जांच होती हैं।

गाय के दूध के लिए मिनिमम 3.9 प्रतिशत और अधिकतम 4.50 प्रतिशत का पैमाना रखा जाता हैं। भैंस के दूध के लिए न्यूनतम 5 प्रतिशत और अधिकतम 7-8 प्रतिशत पैमाना तय किया गया हैं। इंदौर सांची प्लांट पर प्रतिदिन 4 लाख लीटर दूध आता हैं।

अब जानिए ट्रांसपोर्टर सुखविंदर सिंह के बारे में

सुखविंदर सिंह पिछले तीन साल से इंदौर के सांची प्लांट के लिए ग्रामीण इलाकों के बीएमसी सेंटर से दूध कलेक्ट कर पहुंचाने का काम कर रहा हैं। 76 बीएमसी सेंटर्स में से 53 गांव के 11 बीएमसी सेंटर्स से दूध कलेक्ट कर सुखविंदर सिंह अपने 6 टैंकर से दूध सांची प्लांट पहुंचाता हैं।

कुछ महीनों पहले ही दूध में मिलावट करते हुए पीथमपुर में पकड़ा गया था। गोरखधंधे में भतीजा सुखबीर भी शामिल है। जिस गोदाम के बाहर मिलावट की जा रही थी, वह भी सुखविंदर का ही बताया जा रहा है।

सुखविंदर के पास 6 टैंकर हैं, इनके जरिए 87600 लीटर दूध की सप्लाई हर दिन करता हैं। सुखविंदर को 24 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से पेमेंट किया जाता हैं। टैंकर से 30 प्रतिशत तक असली दूध निकालकर उसमें पानी और सोडियम क्लोराइड की मिलावट करता है।

दूध को सामान्य तौर पर अमृत सामान माना जाता है, लेकिन ये बदमाश चंद मुनाफे के लिए दूध को जहरीला बनाने में जुटे थे। दूध में सोडियम क्लोराइड मिलाने पर वह इंसान के शरीर के लिए जहर सामान है।

गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के साथ ही छोटे बच्चों के लिए यह किसी जहर से कम नहीं। वहीं इंसान के शरीर में कई तरह के कैंसर होने का भी एक बड़ा कारक सोडियम क्लोराइड है। ऐसे में दूध में मिलावट करने के मामले में पकड़े गए सभी आरोपियों के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत भी कार्रवाई की गई है।

पुलिस ने निःसंदेह बेहतरीन कार्रवाई की है, लेकिन अब आवश्यकता है कि इस मामले में खाद्य विभाग भी सामने आकर कार्रवाई करे और जांच करे कि आखिर इंसान की सेहत से खिलवाड़ किये जाने वाला यह गोरखधंधा कब से किया जा रहा था, साथ ही दरकार है पुलिस द्वारा मामले की तह तक जाकर सांची के उन अधिकारियों के चेहरे बेनकाब करने की, जो चंद रुपयों की खातिर अपनी जिम्मेदारी छोड़कर लोगों को जहर दे रहे हैं।