Loading...
अभी-अभी:

नेत्रहीन शिक्षक जगा रहा हैं बच्चों में शिक्षा की अलख

image

Sep 5, 2017

रायसेन : देशभर में आपने स्कूलों की बदहाली और टीचरों की लापरवाही के तमाम किस्से सुने और देखे होंगे, लेकिन मध्य प्रदेश के रायसेन में एक नेत्रहीन शिक्षक सरकारी स्कूलों के छात्र छात्राओं में शिक्षा की अलख जला रहे हैं। अपने काम के प्रति ईमानदार और निष्ठावान यह शिक्षक पिछले 11 सालों से अपनी सेवाएं रायसेन जिले के सांचेत स्कूल में दे रहे हैं। इसकी काबिलियत का सम्मान करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीएम हाउस बुलाकर इस नेत्रहीन शिक्षक को 1 लाख रुपए और ट्राफी देकर सम्मानित भी किया हैं। 

आज के दौर में जहां सरकारी शिक्षक अपने काम के प्रति कम ही वफादार देखने को मिलते हैं, ऐसे में नेत्रहीन शिक्षक वीरेंद्र कुमार बच्चों के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में लापरवाही करने वाले शिक्षकों को भी एक प्रकार से सीख दे रहे हैं।

रायसेन जिले के सांचेत गांव में पदस्थ मिडिल स्कूल के टीचर वीरेंद्र कुमार राठौर 11 सालों से नेत्रहीन होने के बावजूद बच्चों के दिल में जगह बना कर उनके भविष्य को बेहतर ढंग से संवार रहे हैं। शिक्षक वीरेंद्र कुमार ब्रेन लिपि और ऑडियो सुन कर कोर्स को तैयार करते हैं। फिर उन्हें अपने तरीके से बच्चों को समझाते हैं। उनकी पढ़ाई की इस तकनीक को बच्चे बखूबी समझते हैं और उनके द्वारा बताई गई हर बात बच्चे याद भी रखते हैं। वीरेंद्र कुमार का कहना हैं कि समय-समय पर ट्रेनिंग और अभ्यास के साथ वह बच्चों का कोर्स तैयार कराते हैं।

वीरेंद्र कुमार का कहना हैं कि उन्होंने अपनी नौकरी के 11 साल में पूरी ईमानदारी और लगन से बच्चों को पढ़ाया हैं। जिसका नतीजा यही रहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें सम्मानित किया हैं। वहीं शिक्षक वीरेंद्र कुमार चाहते हैं कि अन्य सरकारी टीचर भी उनकी तरह पूरी ईमानदारी और लगन से काम करें, तो उन्हें भी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से सम्मानित होने का मौका मिल सकता हैं।

स्कूल आने से पहले सांचेत मिडिल स्कूल के कुछ बच्चे अपने प्रिय टीचर वीरेंद्र कुमार को घर से साथ लाना नहीं भूलते। वीरेंद्र कुमार भी इन बच्चों के साथ बातें करते हुए और उनकी दिनचर्या को लेकर नैतिक शिक्षा का ज्ञान देते हुए स्कूल पहुंचते हैं, जिसके बाद बड़े ही फ्रेंडली अंदाज में शिक्षक वीरेंद्र कुमार बच्चों को पढ़ाते हैं। उनके द्वारा पोयम और कविता पढ़कर बताने पर बच्चों को जल्दी उनका कोर्स याद हो जाता हैं।

स्कूली बच्चों का कहना हैं कि वीरेंद्र सर उनके सबसे प्रिय टीचर हैं। उनकी बताई हुई हर बात बच्चों को बहुत जल्द और आसानी से समझ में आ जाती हैं। स्कूल की हेडमास्टर और प्रभारी प्रेमलता मैडम बताती हैं कि नेत्रहीन होने के बावजूद शिक्षक वीरेंद्र कुमार के जज्बे में कोई कमी नहीं हैं। वह अपना काम बेहद ईमानदारी से कर रहे हैं। स्कूल में बच्चे जितना उनसे स्नेह करते हैं उतना ही उनसे डरते भी हैं।

 

आज के दौर में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को कामयाब होने के लिए काफी मेहनत करनी होती हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में वीरेंद्र कुमार की तरह काबिल टीचर मिल जाए तो आने वाले समय में गांव के बच्चे भी कामयाब होकर हर मुकाम हासिल कर सकते हैं।