Oct 5, 2017
झाबुआ : राष्ट्रपति भवन ने झाबुआ के पूर्व एएसपी और वर्तमान में रतलाम के डीआईजी धर्मेंद्र चौधरी को 2004 में दिया वीरता पदक वापस लेने के निर्देश जारी किये हैं। राष्ट्रपति भवन ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की अनुशंसा पर यह फैसला किया हैं।
गौरतलब हैं कि 2 दिसंबर 2002 को झाबुआ कोतवाली के खेडी गांव में कुख्यात अंतरराज्यीय 16 हजार रुपए के इनामी डकैत “लोभान” का एनकाउंटर हुआ था, जिसके बाद राज्य शासन ने वीरता पदक का प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा था और इस एनकाउंटर को सही मानते हुए केंद्र और राज्य सरकार ने धर्मेंद्र चौधरी को वीरता पदक दिया था।
साथ ही दो सिपाहियों मानसिंह और संजय को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया था। बाद में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लोभान के एनकाउंटर को फर्जी करार देकर 5 लाख रुपए का मुआवजा राज्य शासन को लोभान के परिजनों को देने के निर्देश दिये थे, मगर राज्य शासन धर्मेंद्र चौधरी के साथ खड़ा हो गया था।
एनकाउंटर को सही और वैधानिक बताते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को 2011 में अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था। तब आयोग ने राज्य सरकार के रुख से नाराज होकर राष्ट्रपति भवन को वीरता पदक वापिस लेने की अनुशंसा भेजी थी, जिस पर यह फैसला आया हैं।