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वाटर हार्वेस्टिंग पर निगम अधिकारी नहीं दिखा रहे रूचि

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Jul 17, 2017

ग्वालियर : गिरते भूजलस्तर को रोकने के लिए उच्च न्यायालय लगातार नगर निगम के अधिकारियों को फटकार लगा रहा हैं। इसके बाद भी न तो अधिकारी चेत रहे हैं और न ही शहर के नागरिक। पानी बचाने के लिए बड़ी-बड़ी बातें तो की जाती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग ही हैं।

ग्वालियर शहर का जमीनी जल स्तर लगातार कम होता जा रहा हैं। हालात यह हैं कि कई इलाकों की बोरवेल ने पानी देना बंद कर दिया हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण हैं कि बारिश का पानी ऐसे ही बर्बाद हो रहा हैं। इस पानी को जमीन के अंदर ले जाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग लगाने की कवायद कई सालों से चल रही हैं। लेकिन इसे लेकर न तो सरकारी ऐजेंसी गंभीर हैं और न ही आम लोग। जिससे आने वाले समय में गंभीर परिणाम सामने आ सकता हैं। जागरुक लोगों का कहना हैं कि वाटर हार्वेस्टिंग हर किसी को लगाना चाहिए। ताकि आसमान से गिरने वाले पानी को जमीन के अंदर पहुंचाया जा सके।

निगम भवन निर्माण की अनुमति देते समय वाटर हार्वेस्टिंग के पैसे जमा कराता हैं, जिससे वह लोगों के घर जाकर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा सके। विगत 2013 से 2017 तक करीब 11 सौ लोगों ने मकान निर्माण की अनुमति ली। जिसका निगम के पास 1 करोड़ रुपए जमा हैं। लेकिन इसके बाद भी निगम ने अभी वाटर हार्वेस्टिंग शुरू नहीं कराई हैं। इस संबंध में महापौर विवेक नारायण शेजवलकर का कहना हैं कि वो जल्द ही इस मामले को देखेंगे। लेकिन सवाल यह हैं कि आखिर 2013 से अभी तक इस मामले में गंभीरता क्यों नही लायी गई।

शहर में आज भी कई इलाकों में भवन निर्माण और बिल्डिंग बनाई जा रही हैं। जहां कुछ लोग तो वाटर हार्वेस्टिंग लगा रहे हैं, लेकिन अधिकांश लोग इस पर कोई ध्यान नही दे रहे हैं। ऐसे में जानकारों का मानना हैं कि अगर यही हालात रहे तो आने वाले समय में नई पीढ़ी को पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसना पड़ सकता हैं।

आज के समय में वाटर हार्वेस्टिंग एक बेहद जरूरी योजना हैं। लेकिन सरकारी संस्थाएं जिन पर इसकी जवाबदारी हैं। इसको लेकर उच्च न्यायालय ने कई बार नगर निगम के अधिकारियों को फटकार लगा चुके हैं।