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शहीद की शहादत को भूली सरकार, परिजनों ने लिखी PM को चिट्ठी 

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Jul 28, 2017

बुरहानपुर  : 2 दिन पूर्व ही पूरे देश में कारगिल विजय दिवस मनाया गया। इस विजय को पाने के लिए हमारे देश के सैकड़ों वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति देकर इस युद्ध में विजय पाई थी, पर देश और प्रदेश आज उन वीरों की आहुति को भूला रहा हैं। जिसके लिए युद्ध में शहीद के परिजन अब न्याय की गुहार लगा रहे हैं। कारगिल युध्द में शहीद हुए बुरहानपुर के लांस नायक मोहम्मद साबिर की, जिनकी शहादत के बाद उनका परिवार बीते 15 साल से सेना और मप्र सरकार द्वारा शहीदों के परिवारों को दी जाने वाली आर्थिक व अन्य सहायता पाने के इंतजार में हैं। शहीद की पत्नी आमिना ने अपना हक पाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी हैं। शहीद की विधवा को उम्मीद हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी गुहार को अवश्य स्वीकार करेंगे।

बुरहानपुर के आजाद नगर क्षेत्र में रहने वाले इस परिवार ने कारगिल युध्द में अपने पति और पिता को खो दिया हैं। दरअसल सेना में तैनात लांस नायक मोहम्मद साबिर कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान से आई गोली लगने से शहीद हो गए थे। इसके बाद शहीद के शव को बुरहानपुर लाकर ससम्मान गार्ड ऑफ ऑनर देकर उन्हें सुपुर्देखाक किया गया था। उस समय राज्य सरकार ने शहीद के परिवार को धांधस बांधते हुए परिवार की सहायता के लिए बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन एक साल बाद ही राज्य सरकार ने यह कहकर परिवार से मुंह मोड़ लिया कि लांस नायक मोहम्मद साबिर अपनी ही गोली लगने से मारे थे। लिहाजा परिवार को दस लाख रुपए नकद राशि, पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी व जमीन तीनों में से कोई एक सहायता नहीं दी जा सकती। सरकार की इस चिट्ठी के बाद मानो इस परिवार पर आफत आ गई, लेकिन शहीद की पत्नी को यकीन था कि उनके पति दुश्मन सेना की गोली से ही शहीद हुए हैं।

दस साल की जद्दोजहद के बाद शहीद की पत्नी आमिना ने सेना से वह प्रमाण हासिल कर लिया, जिसमें बताया गया कि लांस नायक मोहम्मद साबिर की जान पाकिस्तान की तरफ से आई गोली लगने से हुई थी। शहीद की पत्नी ने इसे आधार बनाकर अपना हक पाने के लिए सेना से गुहार लगाई थी। जब उनकी सुनवाई नहीं हुई, तो उनके द्वारा न्यायालय की शरण ली गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का टीवी पर एक बयान आया कि देश की सीमा पर रक्षा करने वाले सैनिकों के परिवारों की जिम्मेदारी उनकी हैं और पूरा राष्ट्र उनके साथ हैं इसे सुनकर उनकी आस फिर बंध गई हैं। शहीद की पत्नी आमिना खातुन ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर अपना हक दिलाने की गुहार लगाई हैं। शहीद का परिवार अपना हक पाने के लिए न्यायालय की शरण में भी पहुंचा हैं।