Loading...
अभी-अभी:

अलिराजपुर ने अपराधियों को बचाने के लिए कर डाला ये काला कारनामा

image

Aug 29, 2018

रामेश्वर योगी : अलीराजपुर में पुलिस का एक और काला कारनामा सामने आया है मामला अलीराजपुर जिले के चंद्रशेखर आजाद नगर का है जहाँ पुलिसकर्मियों ने अपने आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए न सिर्फ अपराधी को सलाखों के पीछे जाने से बचा लिया बल्कि शासन को लाखों रुपये का चूना लगाकर खुद भी एक अपराध कर बैठे, देखिये ये पूरा मामला और समझिये अलीराजपुर पुलिस की कार्य प्रणाली को।

अलीराजपुर पुलिस की कार्य प्रणाली पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़ा हो गया है और पुलिस की इस कार्यप्रणाली पर सवाल उठे है आर टी आई से प्राप्त एक जानकारी के बाद, मामला अलीराजपुर जिले के चंद्रशेखर आज़ाद नगर के थाने से जुड़ा हुआ है जहाँ 5 मई 2017 को पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर अवैध शराब से भरी एक पिकअप वाहन को मय शराब से जप्त किया था परन्तु आर टी आई से प्राप्त जानकारी के अनुसार चंद्रशेखर आज़ाद नगर के तात्कालीन टी आई जनक सिंह रावत ओर जांच अधिकारी मनीम टेप्पो ने आरोपियों से मिलीभगत कर न सिर्फ आरोपियों को सलाखों के पीछे जाने से बचा लिया बल्कि जप्त वाहन के स्थान पर एक कंडम वाहन की जप्ती की उल्लेख एफ आई आर में कर आरोपियो के आर्थिक नुकसान को कम कर दिया।

आर टी आई के माध्यम से प्राप्त जानकारी में मामले की शिकायत के बाद एस डी ओ पी की जांच रिपोर्ट ओर जप्त वाहन की मैकेनिकल जांच में यह स्पष्ट है की तत्कालीन टी आई ने अवैध शराब से भरे असल वाहन और आरोपियों को छोड़कर कर न सिर्फ अनुचित लाभ प्राप्त किया है बल्कि आरोपियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से असल वाहन को भी बदल दिया।

चंद्रशेखर आज़ाद नगर थाने पर खड़े जप्त वाहन की मैकेनिकल रिपोर्ट में यह स्पष्ट है जप्त वाहन घटना के समय के समय कंडम हालत में था और कभी समय से उपयोग नही किया गया था यानी मैकेनिकल रिपोर्ट से यह निश्चित है कि पुलिस ने योजनाबद्ध तरीके से मौके से जप्त वाहन के स्थान पर एक कंडम वाहन का उल्लेख एफ आई आर में कर आरोपियो को अनुचित लाभ दिया है इस मामले को लेकर आर टी आई कार्यकर्ता का कहना है कि को वरिष्ठ अधिकारियों ने भी थाना प्रभारी को बचाने ओर इस प्रकार के अपराधी प्रवत्ति वाले टीआई को जोबट थाना प्रभारी बना दिया गया जबकि आरोपी पुलिस अधिकारी के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए। 

वही इस पूरे मामले को लेकर पुलिस अधिक्षक का कहना है की इंदौर आईजी महोदय के द्वारा जांच आदेशित की गई है और संबंधित अधिकारियों को आरोप पत्र भी सौंप दिए है ओर मामले की जांच वरिष्ठ अधिकारियो की जा रही है। लेकिन सवाल इस बात का उठता है कि मामले को करीब 17 महीने बीत चुके है और जांच अभी भी अधूरी है और जब संबंधित को आरोप पत्र सौंपा दिए गए है तो फिर थाना प्रभारी का चार्ज देना वरिष्ठ अधिकारी की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा करता है।