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माँ मनोकामना देवी का प्राचीन तलघर नुमा चमत्कारिक मंदिर, देखिए क्या है विशेष

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Oct 11, 2018

त्रिलोक राठौर : नवरात्रि का पर्व आरम्भ हो चुका है पूरा नगर मां दुर्गा की भक्ति में लीन है।जगह-जगह  मां दुर्गा की घट स्थापना के साथ ही भक्तिमय माहौल के बीच चारों ओर मां की आराधना के गीत गीत सुनाई देने लगे है। मां की आराधना के इस पावन पर्व नवरात्रि के मौके पर हम आज आपको मां मनोकामना देवी के दर्शन कराते हैं,

धार जिले धरमपुरी नगर के अति प्राचीन गणपति मंदिर में माँ मनोकामना देवी का अति प्राचीन तलघर नुमा चमत्कारिक मंदिर है। यहां मान्यता है कि माँ मनोकामना श्रद्धालुओं की सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामनाएं पूर्ण करती है। इसलिए प्रतिवर्ष नवरात्रि के दौरान माॅ मनोकामना के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां आते है,वही माँ मनोकामना के आस-पास चमत्कारिक रूप से तलघर में पानी आता है,गणपति मंदिर में स्थित माँ मनोकामना का तलघर नुमा मंदिर श्रद्धालुओं में आस्था के साथ-साथ आश्चर्य का विषय भी है। गुफा में नीचे उतरने के लिए सीढ़ियां निर्मित है।इस तलघर में माॅ मनोकामना देवी के साथ ही भैरवान की मूर्ति भी स्थापित है।गुफा में देवी के सामने पत्थर की एक कुण्डी है।इस कुण्डी में लगभग एक इंच आकार का एक छिद्र है। इस छिद्र से अश्विन शुक्ल प्रतिपदा से पानी आना प्रारंभ होता था जो अश्विन शुक्ल नवमी तक बढ़ता रहता था और दशहरे के पश्चात पुनः उसी छिद्र में वापस जाना प्रारम्भ होता था। इस तरह से थोड़े दिनों में सारा जल वापस चला जाता है। यह आज भी शोध का विषय बना हुआ है कि यहां पानी आखिर कहां से आता है और फिर वापस कहां चला जाता है। जिस छेद से पानी आता है उसके अंदर कोई भी बारिक लकड़ी या अन्य वस्तु डालने की कोशिश करने पर वह मुश्किल से 3 या 4 इंच तक ही अंदर जा पाती है। हालांकि गत कुछ वर्षों से माॅ मनोकामना  देवी की गुफा में पुरे बारह माह पानी की मौजूदगी देखी जा रही है। गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी गुफा में चमत्कारिक रूप से काफी अधिक मात्रा में पानी की आवक हुई है। वर्तमान में गुफा की 8 में से 10 पेढ़ीयाँ जलमग्न हो चुकी है।

सच्चे मन से मांगी मुराद होती है पूरी
मान्यता है कि माॅ मनोकामना देवी अपने भक्तों की सच्चे मन से मांगी गई सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। इसलिए नवरात्रि पर माँ मनोकामना के दरबार में माथा टेकने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। राम नवमी के अवसर पर भी काफी संख्या में श्रद्धालु कुलदेवी पूजने के लिए माॅ मनोकामना के दरबार में आते हैं। माॅ मनोकामना की गुफा के पवित्र जल के प्रति भी श्रद्धालुओं की प्रगाढ़ आस्था है। इसलिए किसी रोग आदि के उपचार के लिए श्रद्धालु माँ मनोकामना की गुफा के जल का उपयोग करते हैं। 

लाल पत्थरों से बना है मंदिर
यह मंदिर अति प्राचीन एवं भव्य है। ऐसी मान्यता है जब धर्मराज युधिष्ठिर 14 वर्ष की आयु में वनवाश के लिये निकले थे तब का यह मंदिर है,यह संपूर्ण मंदिर लाल पत्थर से निर्मित है। बताया जाता है कि मंदिर की पाषाण निर्मित दीवार जमीन में काफी नीचे तक बनी हुई है। लगभग 20 वर्ष पहले मंदिर से सटकर धर्मशाला के कमरे के निर्माण के दौरान नीव खुदाई में 10 फीट तक खोदने के बाद भी मंदिर की पत्थर की दीवार का अंतिम छोर पता नहीं चल सका था। इसी आधार पर यह भी अनुमान लगाया जाता है कि मंदिर का एक हिस्सा मंदिर के नीचे भी मौजूद हो सकता है।