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आस्था और अंधविश्वास की चरम सीमा पर ताल खमरा मेले का हुआ आगाज

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Nov 24, 2018

राकेश प्रजापति : जुन्नारदेव विकासखंड से 30 किलोमीटर दूर नवेगांव ग्राम पंचायत के तालखमरा गांव में लगने वाला भूतों का सुप्रसिद्ध मेला देव उठनी ग्यारस के पश्चात् मंगलवार से प्रारंभ हो गया है। यह मेला प्रशासनिक तौर पर रजिस्टर्ड नहीं है और न ही बैध है इसके बाद भी विगत सैकड़ों वर्षो से चले आ रहे इस मेले में प्रशासन द्वारा संपूर्ण व्यवस्थाएं की जाती है। मेले के दौरान छिन्दवाड़ा जिले के अतरिक्त प्रदेश के अन्य जिलों सहित विदर्भ से भी भारी मात्रा में लोग इस मेले में पहुंचते है। मेले के दौरान प्रशासन संपूर्ण व्यवस्थाएं देखता है वहीं मेले में वाहन स्टेण्ड का ठेका सहित अन्य ठेके भी अब पूर्णतः पंचायत और प्रशासन की देख-रेख में हो रहे है वहीं मंदिर समिति द्वारा भी मेले के दौरान विभिन्न रसीदों के माध्यम से मंदिर के लिए राशि इकट्ठा करती है तो कई असामाजिक तत्व भी मेले का फायदा उठा लेते है। 

भूतों को भगाने ओझा पड़िहार चढ़ाऐंगे बली
इस मेले में मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रेत बाधा से पीड़ित है वह इस मेले में आकर यहां पर प्राचीन समय से स्थित तालाब में स्नान कर मालन माई की पूजा करता है तो वह प्रेत बाधा के प्रभाव से मुक्त हो जाता है साथ ही मेले में बड़ी मात्रा में बकरे एवं मुर्गे की बली का प्रावधान भी है। मेले के दौरान दूर-दूर से ओझा, पड़िहार मेले में पहुंचकर प्रेत बाधा को पेड़ों में खील ठोककर अपने वष में करते है यह बात कहीं जाती है। वहीं ओझा पड़िहारों द्वारा प्रेत बाधाओं को किस प्रकार भगाया जाता है यह देखने के लिए इस मेले में लाखों की संख्या में हुजूम उमड़ता है और तालाब में भूत उतारते और पेड़ों में खील ठोकते ओझाओं को देखता है वहीं समूचे प्रदेश से इस स्थान पर देव धामी को तालाब के जल से शुद्ध करने भी जनसैलाब उमड़ता है। 

अंधविश्वास एवं आस्था का केन्द्र है यह मेला 
इस मेले के दौरान ग्रामीण सहित नगरीय परिवेश के लोगों पर अंधविश्वास और आस्था पूर्णतः हाबी होती है। मेले में बड़ी मात्रा में पहुंचे लोग जहां पर अपनी मन्नते भी पूरी करते है। मेले के दौरान भूत-प्रेत बाधा से ग्रसित लोगों को पड़िहार, ओझाओं द्वारा विविध तरीके से यातनाएं दी जाती है जो कि अंधविश्वास वष परिवार के लोग ही इन बातों पर विश्वास कर अपने परिवार के लोगों के साथ इस तरह का सलूक करते है। इस मेले में मालन माई का मन्दिर लोगों का आस्था का केन्द्र बन चुका है जहां पर प्रतिवर्ष श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है।