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नवरात्र के चौथे दिन जानिए कूष्मांडा स्वरूप से जुड़ी अहम बातें

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Oct 12, 2018

संजय डोंगरडिवे : शारदीय नवरात्र का चौथा दिन जगत जननी के चतुर्थ स्वरूप को समर्पित होता है। श्रीमद देवीभागवत पुराण में बताया गया है कि इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। 

पुराण में बताया गया है कि प्रलय से लेकर सृष्टि के आरंभ तक चारों ओर अंधकार ही अंधकार था और सृष्टि एकदम शून्य थी। तब आदिशक्ति के कूष्मांडा रूप ने अंडाकार रूप में ब्रह्मांड की रचना की। मां कूष्मांडा का निवास स्थान सूर्यलोक के मध्य में माना जाता है। 

पुराण के अनुसार केवल मां कूष्मांडा का तेज ही ऐसा है, जो वह सूर्यलोक में निवास कर सकती हैं आदिशक्ति को ही सूर्य के तेज का कारण भी कहा जाता है। मां के इस रूप की उपासना भक्तों के तेज में वृद्धि करती है, मां के तेज के समान उनके भक्त की ख्याति भी दशों दिशाओं में पहुंचती है। मंदिर में पहुंचे भक्तों का कहना है कि नवरात्र में माता के दर्शन करने से शांति मिलती है।