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एक ऐसा गांव जहां हर घर में जन्म लेती हैं बेटीयां, इस गांव में महिला अपराध भी शून्य

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May 8, 2018

हरपुरा मड़िया गांव में बेटीयों के जन्म के बाद जश्न मनाया जाता है नाच गाने के साथ गांव में भोजन कराया जाता है। गांव की ही 100 वर्षीय शुगररानी पिछले 60 सालों से गांव के लोगों को बेटीयों को जन्म देने के लिये प्रेरित करती हैं। घर घर जाकर बेटीयों की कहानियां सुनाती हैं। बिना शुगर रानी की अनुमति के विवाह नहीं होता ​है। यह गांव बेटीयों के मामले में अब्बल है जहां बेटों से ज्यादा बेटीयां हैं। इस गांव को बेटीयों वाला गांव कहा जाता है। इस गांव में महिला अपराध भी शून्य हैं। 

टीकमगढ़ से 10 किलोमीटर दूर स्थित गांव हरपुरा मड़िया जिले के लिये ही नहीं प्रदेश के लिये मिशाल है। इस गांव में हर घर में बेटीयां जन्म लेती हैं हर घर में 5 से 6 यहां तक की 10-10  बेटीयों के जन्म लेने के बाद भी खुशियां मनाई जाती हैं नाच गाना होता है। इस के पीछे मेहनत है 100 वर्षीय शुगररानी की जो लगातार 60 वर्षों से घर घर जाकर लोगो को बेटी को जन्म देने के लिये जागरूक करती हैं साथ ही बेटीयों की कहानी सुनाती है गांव में बिना शुगररानी की अनुमति के विवाह नहीं होता है। 

जनपद स्तर पर यह गांव आदर्श गांव घोषित किया गया है इस गांव में अपराध भी शून्य है साथ ही इस गांव में बाहरी व्यक्तियों के आने पर पूरी पूछताछ होती है। बेटीयों को जन्म देने के पीछे बेटों की चाह नहीं है इस गांव में बेटीयों के जन्म के बाद लोग गर्व महसूस करते हैं। इस गांव में सभी प्रसूती सामान्य होती हैं किसी भी महिला का आॅपरेशन नही हुआ है। लेकिन बेटीयों के जन्म के बाद उनके भविष्य कि चिंता जरूर सताती है क्योंकि शासन की योजनाओं का लाभ इस गांव में नहीं पहुंच पाता है साथ ही बेटीयों की शादी के लिये साहुकारों से कर्ज लेना पड़ता है। 

यह गांव भले ही प्रदेश और जिले के लिये मिशाल है लेकिन बेटीयों के जन्म के बाद उनके भविष्य की चिंता माता पिता को लगी रहती हैं। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को सफल बनाने वाला यह गांव आज भी शासन से मिलने वाली सुविधाओं से वंचित है।