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ग्वालियर में मौसम विभाग के अध्ययन में मिले चौंकाने वाले तथ्य

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Jun 16, 2018

ग्वालियर में मौसम विभाग के अध्ययन में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है। इस अध्ययन में 1980 से 2017 के बीच हुई बारिश का औसत तुलनात्मक अध्ययन किया जिसके अनुसार ग्वालियर अंचल में 37 साल में औसत बारिश में 100 मिमी की गिरावट आई है। यानी औसत बारिश 800 मिली मीटर से घटकर 699 पर आ गई है। हर साल 2.7 मिमी की गिरावट आ रही है। 2050 तक औसत बारिश 600 मिमी पर आ जाएगी।

मौसम विभाग में दर्ज आंकड़ों के अधार पर 1951 से 1980 व 1980 से 2017 के बीच हुई बारिश का तुलनात्मक अध्ययन किया। 1951 से 1980 के बीच बारिश में कोई कमी नहीं आई और शहर में औसत बारिश दर्ज की गई, लेकिन 1980 के बाद से लगातार बारिश घट रही है। इसकी वजह से औसत बारिश का कोटा 800 मिमी से घटकर 699 पर आ गया। यानी 37 साल में 100 मिमी की गिरावट दर्ज की गई। 2050 तक 90 मिमी की गिरावट की संभावना है। जिससे औसत बारिश 600 मिमी पर आ जाएगी।

औसत बारिश घटने से आपके ऊपर यह पड़ेगा असर
1- औसत बारिश घटने से अंचल के बांध नहीं भर पाएंगे। जैसे कि तिघरा के कैचमेंट एरिया में 750 मिमी बारिश नहीं होती है तो वह पूरा नहीं भर सकेगा। तिघरा को भरने वाले बांध अपर ककैटो, ककैटो, पेहसारी खाली रहेंगे। इससे शहर में लगातार जल संकट बना रहेगा।

2- बारिश घटने से भूमिगत जलस्तर में गिरावट आएगी, क्योंकि शहर में 1.5 एमसीएफटी पानी नगर निगम जमीन से निकाल रही है, लेकिन औसत बारिश नहीं होने से जमीन रीचार्ज नहीं हो पा रही है। जिससे लगातार असुंतलन बढ़ेगा।

3- अंचल के हरसी, मणीखेडा, अपर ककैटौ, ककैटो, पेहसारी बांध ग्वालियर-चंबल संभाग में होने वाली बारिश पर निर्भर रहते हैं।

4- बारिश नहीं होने से कृषि प्रभावित होगी। अंचल में जीविका का मुख्य साधन कृषि है। यहां का किसान लगातार सूखे की मार झेल रहा है।

मानसून ने ट्रैक बदला
1980 के पहले बंगाल की खाड़ी में बनने वाले सिस्टम इटावा के ऊपर होते हुए दिल्ली की ओर जाते थे, लेकिन 1980 के बाद ट्रैक में बदलाव आया है। मानसून का ट्रैक बंगाल की खाड़ी से रीवा, सतना, गुना अशोक नगर होते हुए राजस्थान हो गया है। इस कारण ग्वालियर-चंबल अंचल में औसत बारिश नहीं हो रही है।