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केंद्रीय उत्पाद शुल्क ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय को दिया नोटिस

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Jul 25, 2018

विकास सिंह सोलंकी : सर्विस टैक्स जमा नहीं करने पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय को नोटिस दिया, 2012 से 2017 तक के संबद्धता शुल्क पर 4.71 करोड़ रुपए से ज्यादा की डिमांड की गई है। कुलपति का कहना है कि विश्वविद्यालय खुद राज्य सरकार के अधीन शासकीय संस्था का दर्जा है। शासन की ओर से उसे सर्विस टैक्स जमा करने का कभी कोई निर्देश नहीं दिया गया। ऐसे में विश्वविद्यालय सर्विस टैक्स क्यों जमा करेगा। 

सर्विस टैक्स जमा नहीं करने पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क (सेंट्रल एक्साइज) ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय को नोटिस दिया है। जिसमे  2012 से 2017 तक के संबद्धता शुल्क पर 4.71 करोड़ रुपए से ज्यादा की डिमांड की गई है। सर्विस टैक्स कानून खत्म होने के बाद उस टैक्स की वसूली के लिए मिले नोटिस पर सवाल उठाते हुए विश्वविद्यालय इसे कोर्ट में चुनौती देगा।

भारत देश में 1 जुलाई 2017 से सर्विस टैक्स खत्म कर दिया गया है। एकीकृत कर प्रणाली के रूप में इसी दिन से पूरे देश में जीएसटी लागू किया गया, जबकि सेंट्रल एक्साइज का नोटिस विश्वविद्यालय को 2018 में मिला है। तीन दिन पहले हुई विश्वविद्यालय कार्यपरिषद की बैठक में इस मुद्दे को रखा गया। इसमें निर्णय लिया गया कि विश्वविद्यालय खुद राज्य सरकार के अधीन शासकीय संस्था का दर्जा रखता है। शासन की ओर से उसे सर्विस टैक्स जमा करने का कभी कोई निर्देश नहीं दिया गया ऐसे में विश्वविद्यालय सर्विस टैक्स क्यों जमा करेगा। आए हुए नोटिस को लेकर अब डीएवीवी न्यायालय में इसके खिलाफ अपील करेगा।

नोटिस को लेकर अब कुलपति ने कहा की विश्वविद्यालय के लिए भी मुमकिन नहीं है कि वह पिछले वर्षों की संबद्धता के लिए कॉलेजों से टैक्स की वसूली कर सके। शिक्षा दे रहे सरकारी संस्थानों पर सामान्यतः सर्विस टैक्स का भार नहीं आता, क्योंकि यह टैक्स डिमांड कॉलेजों से लिए गए संबद्धता शुल्क पर निकाली गई है। विभाग तर्क दे सकता है कि यह शुल्क दूसरे से करवाए जा रहे शिक्षण कार्य के लिए वसूला गया है, लिहाजा टैक्स का भार बनता है। मामला नोटिफिकेशन की व्याख्या पर निर्भर है। जीएसटी के दौर में अब नोटिस जारी होने पर विभाग की देरी पर सवाल भी खड़े होते हैं शासन की ओर से टैक्स देने का कोई निर्देश नहीं है। नोटिस का प्रतिवाद सक्षम ट्रिब्यूनल व हाई कोर्ट में किया जाएगा। इसके लिए कार्यपरिषद ने विधिक सलाहकार नियुक्त करने की अनुशंसा भी कर दी है।