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सतनाः जनप्रतिनिधि सरकार की योजनाओं पर लग रहे हैं पलीता, राशि हो रही हजम

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Mar 16, 2019

वरूण शर्मा- जनप्रतिनिधि द्वारा पैसे कमाने के कामोवेश इच्छा के सामने यदि आमजन की जरूरतों को ताक पर रख दिया गया है, तो यह सुनना कोई आश्चर्य जनक नहीं होगा। सतना जिले में यह आम बात है। यहां  जनप्रतिनिधि खुलेआम सरकार की योजनाओं पर पलीता लगाते हैं और अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ मिलकर योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए आई राशि का बंदरबाट कर लेते हैं। ये लोग डकार तक नहीं लेते और हद तो तब हो जाती है, जब जनप्रतिनिधि खुलेआम जनता के हक पर डाका डालने की बात स्वीकार करते दिखते हैं।

शौचायलय सुविधा और आवास योजना से वंचित हैं ग्रामवासी 

हम बात कर रहे है जिले के उचेहरा विकासखण्ड के सेमरी दुबे गांव की, जहां की महिला सरपंच हैं महिमा सिंह। इनके कार्यकाल में विकास की हालत यह है कि शौचालय कागजों में बन गये हैं और निर्माण के लिए पैसे भी निकल गये, मगर हकीकत में शौचालय का कुछ अता-पता नहीं है। नतीजतन महिला हो या बच्ची या फिर पुरुष सभी लोटा लेकर खुले में शौच जा रहे हैं। जिनके शौचालय बने भी तो घटिया निर्माण के चलते उनकी स्थिति खराब है। आवास योजना ग्रामीणों को नहीं मिल रहे क्योंकि वह घूस के रूप मे सरपंच को पैसे नहीं दे पा रहे हैं। लिहाजा उन्हें अपात्र घोषित कर दिया गया। जिसके चलते मिट्टी की टूटी हुई दीवारों के बीच घर में रहने को मजबूर हैं। जब इनके घर मीडिया का कैमरा पहुँचा तो सीधी तस्वीरें कैद हुई, जो आपके सामने है। 

महिला सरपंच ठेकेदार से हजारों रुपये अपने हक का लेती हैं

महिमा सिंह, सरपंच सेमरी दुबे गाँव से जब योजनाओं में हो रही लीपापोती व भ्रष्टाचार के बारे में पूछा तो उन्होंने पूरी कहानी बयां की। उन्होंने बताया कि हम इस मामले पर जिले के आला अधिकारियों को लिखित शिकायत कई बार कर चुके हैं। जाँच भी की गई, हितग्राहियों के बयान भी लिये गये, पर कार्यवाही के नाम पर महज अश्वासन ही मिला है। इन्होंने बताया कि पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह के संरक्षण के चलते यहां खुलेआम जनता को सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं पर डाका डाला जा रहा है। गाँव पर दर्जनों घर ऐसे है जहां शौचालय नहीं बने पर निर्माण के नाम पर पैसे निकाल लिये गये हैं। गाँव में 97 शौचालय निर्माण की राशि आहरित की गई है। जिनमें से 7 घरों में आज तक निर्माण हुआ ही नहीं और दर्जनों घर ऐसे है। जहां सिर्फ गड्ढे खोद कर निर्माण कार्य बंद कर दिया गया है। गांव की सरपंच महिला है, जो कभी घर से नहीं निकलती। एक प्राइवेट आदमी कृष्ण बिहारी मिश्रा को काम सौंप रखा है जो पूरी योजनाओं पर पानी फेर रहा है। हालांकि सरपंच ने इसे सिरे से नकारते हुये कहा कि हमारे पति स्वयं पूरा कार्य करते हैं और जरूरत पड़ने पर हम भी जाते हैं। खबर तो यह भी है कि यह महिला सरपंच ठेकेदार से 20, 30, 50 हजार रुपये अपने हक का लेती हैं और यह अकेली नहीं हैं, जो डाका डाल रही हैं।