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पन्नाः ग्राम पंचायत भसूडा और दिया में सब इंजीनियर ने किया घोर भ्रष्टाचार

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Apr 12, 2019

गणेश विश्वकर्मा- पन्ना जिले के अधिकारी कर्मचारीयों के भ्रष्टाचार के मामले आये निकलकर सामने आ ही जाते हैं, क्योंकि जिले में वरिष्ट अधिकारियों ने अपने कर्मचारियों को खुली छूट दे रखी है। जिससे कर्मचारियों को भ्रष्टाचार करने में कोई भय नहीं है।

ऐसा ही मामला पन्ना जनपद की  पंचायत भसूड़ा और दिया से प्रकाश में आया है। दोनों ग्राम पंचायतों में स्टापडेम स्वीकृत किये गए थे। जिनकी लागत 15 -15 लाख रुपये थी, लेकिन ग्राम पंचायत सरपंच, सचिव और सब इंजीनियर ने इन दोनों स्टापडेम के कामों को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया है।

निकलवा लिए 16 लाख और काम एक भी नहीं, इंजीनियर का भ्रष्टाचार प्लान

ग्राम पंचायत भसूड़ा  और दिया में स्टापडेम निर्माण का कार्य स्वीकृत किये गये थे, लेकिन बिना काम ही लाखों रुपये की राशि ग्रामपंचायत सचिव सरपंच और सब इंजीनियर ने मिलकर यहाँ पर स्वीकृत स्टापडैम के पैसे बिना काम किये ही निकला लिए। इन दोनों कामों में सब इंजीनियर के द्वारा एक घोटाला किया गया है। घोटाले में सब इंजीनियर ग्राम पंचायत सचिव और सरपंच भी शामिल हैं। लेकिन चालाक दिमाग से सब इंजीनियर ने बिना काम किये लाखों रुपये हड़प लिए। दोनों कामों में बिना काम किये लगभग 15 लाख की राशि निकाल ली गई है, और जमीनी स्तर पर काम का मात्र दिखावा किया गया। मशीनों का उपयोग कर गड्ढे खोदकर मटेरियल के नाम पर यह 15 लाख की राशि का गमन किया गया है।

बालू की जगह पत्थर का चूरा, घटिया मटेरियल डलवा कर हड़पे 16 लाख

वैसे तो पन्ना जिला में भ्रष्टाचार के मामले सामने निकलकर सामने आना कोई नई बात नही हैं, क्योंकि इस जिले राजनेताओं की राजनीति शून्य है। इसलिए यहाँ अधिकारी कर्मचारियों मनमानी करने में कभी चूकते नहीं हैं। इसका फायदा भी भरपूर उठाने में माहिर हैं। काम के नाम पर मौके पर मात्र गड्ढे ही दिखाई देते  हैं। वहीं मटेरियल इतना घटिया डलवाया गया कि आप सोच भी नहीं सकते, क्योंकि अभी तक आपने बालू नदी और नालों की उपयोग में आते देखी होगी, लेकिन यहाँ पर पदस्थ सब के भ्रष्टाचारी दिमाग ने रेत की नई खोज कर ली और रेतीले पत्थरों से निकली रेत उपयोग में लाने का प्लान भी बना लिया। ना बालू खरीदने की झंझट और ना ही किसी को पैसे देने की। जब इस विषय पर इंजीनियर महोदय से बात की गई तो अपने आप को ईमानदार कहते नजर आए और अपने काम को साफ-स्वच्छ कहने लगे। इन महोदय को अब कौन समझाए कि बिना काम किए इतनी लंबी रकम निकाल लेना भ्रष्टाचार नहीं है तो और क्या है।