Loading...
अभी-अभी:

नर्मदा नदी के बढ़ते जलस्तर के चलते राजघाट के पुराने पुल से आवागमन बंद

image

Sep 24, 2018

सचिन राठौड़ : नर्मदा नदी के बढ़ते जलस्तर व पुल डूबने की संभावना के चलते आज प्रशासन ने गड्डा खोदकर राजघाट के पुराने पुल से आवागमन पूरी तरह बंद कर दिया है। मेधा पाटकर ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाकर बड़े गड्ढे को औचित्य पूर्ण बता कर कहा कि इस तरह आवागमन बंद करने से स्कूली बच्चे किसानों ग्रामीणों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।  

लगातार हो रही बारिश के बाद नर्मदा नदी खतरे के निशान के ऊपर है सम्भावना इस बात की भी जताई जा रही है की पुराना पुल डूब सकता है राजघाट नर्मदा नदी के छोटे पुल पर आज नर्मदा का जलस्तर  126.500 मीटर चल रहा है जबकि खतरे का निशान 123.350 मीटर पर है मतलब अगर कहा जाए तो कल ही नर्मदा खतरे के निशान से 2 मीटर ऊपर बह रही थी जिसको लेकर प्रशासन द्वारा पुल पर आवागमन रोक दिया गया था बावजूद  रोकने के बाद भी लोग अपनी जान जोखिम में डालकर पुल पार कर रहे थे।

जिसके चलते आज एसडीएम ओहरिया की उपस्थिति में नर्मदा के पुराने पुल को दोनों ओर से गड्ढे खोद कर क्षतिग्रस्त कर दिया गया जिससे के पुरानी पुलिया से आवागमन न हो सके लेकिन नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने इसे प्रशासन की हठधर्मिता बता कर गलत कार्यवाही बताई मेधा ने कहा के 2013 में भी ये स्थिति हुई लेकिन कारण सिर्फ ऊपर के छोड़े गए पानी के कारण हुई थी प्रशासन को जानकारी है के बर्घी बांध ओर इंदिरा सागर से छोड़े गए कितने पानी से राजघाट की क्या स्थिति रहती है बावजूद उसके न प्रशासन जानकारी लेना चाहता न कुछ करना चाहता है जबकि 2013 में भी यही हालत थे।

राजघाट से एकलबारा ओर धार के निसरपुर व आसपास के नर्मदा से लगे क्षेत्र प्रभावित हुवे थे बावजूद आज भी प्रशासन मार्ग बंद कर रहा है जबकि मार्ग बंद से लोग कितने परेशान होंगे ये भी जानकारी है हकीकत ये है के प्रशासन को जानकारी होना चाहिए के कब तक कितना पानी रहेगा और कब स्थिति सामान्य हो जाएगी लेकिन उसके लिए इतना बड़ा गड्डा कर मार्ग अवरुद्ध करना गलत है क्योंकि इस मार्ग के अवरुद्ध होने से स्कूली बच्चों को आने जाने में काफी दिक्कतें होती है ग्रामीण किसानों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है इस पुल के की वजह से बड़वानी और चीखल्दा की दूरी मात्र 1 किलोमीटर है वहीं जब यह पुल बंद हो जाता है तो लगभग 7 से 8 किलोमीटर घूम कर लोगों को आना जाना पड़ता है मेधा इस बात का भी विरोध कर रही है की पिछली बार भी प्रशासन के द्वारा गड्ढा किया तो गया था लेकिन ग्रामीणों द्वारा उसे बंद किया गया जबकि  प्रशासन ने गड्ढा बंद करने के बाद पानी कम हो जाने के बावजूद भी इसकी सुध तक नहीं ली थी।