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संपत्तिकर में फर्जीवाड़ा रोकने ई-नगर पालिका पोर्टल को खोला ट्रायल के लिए

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May 2, 2018

संपत्तिकर में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए प्रदेश स्तर के ई-नगर पालिका पोर्टल को ट्रायल के लिए खोल दिया गया है। अभी इसमें प्रदेश के केवल दो शहर ग्वालियर और उज्जैन को शामिल किया है लेकिन पोर्टल में तमाम तरह की विसंगति सामने आने लगी है किसी का मकान गायब है तो किसी का नाम। कई भवन स्वामियों की संपत्तिकर में पिछली जमा राशि का उल्लेख नहीं है। इसी तरह की अन्य विसंगतियां सामने आने से निगम अधिकारी परेशान हैं। संपत्तिकर जमा करने की प्रदेश स्तर की ई-सेवा व्यवस्था लागू करने के चलते ग्वालियर शहर के संपत्तिकर दाता पिछले एक माह से संपत्तिकर जमा भी नहीं कर पा रहे हैं।

पोर्टल पर आधी अधूरी जानकारी
दरअसल ई-नगर पालिका पोर्टल में संपत्तिकर दाता का नाम, वार्ड क्रमांक, मकान नंबर, मोबाइल नंबर सहित अन्य जानकारियां फीड की गई हैं। लेकिन ट्रायल के लिए खोले गए पोर्टल में किसी संपत्ति के मालिक का नाम गायब है तो किसी का नाम और कॉलोनी का नाम खुल रहा है परंतु उसका भवन नंबर यानि मकान गायब है। कई संपत्तियों का पिछला बकाया नहीं दर्शाया जा रहा तो कई ऐसी संपत्तियां हैं जिनका पिछला संपत्तिकर जमा है किन्तु पोर्टल पर बकाया दिखाया जा रहा है। 

प्रदेश के सभी नगरीय निकायों को जोड़ा जा रहा पोर्टल से
जो संपत्ति एक से अधिक लोगों के नाम हैं लेकिन पोर्टल पर केवल एक व्यक्ति का नाम ही दिख रहा है। चूंकि इस नए पोर्टल की कन्ट्रोल यूनिट भोपाल के मंत्रालय में स्थापित की गई है इसलिए विसंगतियों को वहीं से सुधारा जा रहा है। इस पोर्टल की शुरूआत मप्र ई-नगर पालिका व्यवस्था शुरू करने के पीछे प्रदेश सरकार की मंशा संपत्तिकर मामले में फर्जीवाड़ा रोकने और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए है। इसीलिए प्रदेश के सभी नगरीय निकायों को इस पोर्टल से जोड़ा जा रहा है।

ग्वालियर शहर के लोग नहीं कर रहे संपत्तिकर जमा
सभी नगरीय निकायों की संपत्तियों का डाटा फीड किया जा रहा है। ग्वालियर का डाटा फीड करने के बाद संपत्तिकर जमा करने की ट्रायल शुरू कर दी है। वैसे ई-नगर पालिका व्यवस्था शुरू करने के कारण सरकार ने ग्वालियर सहित अन्य शहरों के पोर्टल अप्रैल की शुरूआत में ही बंद कर दिए थे। इस कारण ग्वालियर शहर के लोग संपत्तिकर जमा नहीं कर पा रहे हैं।  

पोर्टल पर यह सुविधा

-संपत्तिकर दाता का मोबाइल नंबर फीड करते ही मोबाइल पर ओटीपी आएगा। इससे संपत्तिकर दाता की संपत्ति की पूरी डिटेल देखी जा सकेगी।
-मौके पर ही कोई भी कर संग्राहक अथवा अधिकृत अधिकारी संबंधित भवन स्वामी को टैक्स जमा की रसीद दे सकेगा। जबकि अभी उन्हें रसीद के लिए वार्ड ऑफिस तक जाना पड़ता है।
-निगम के चुनिंदा अधिकारियों को आईडी-पासवर्ड दिया जाएगा जिससे वे संपत्ति संबंधित आंकड़ों की गलतियों को सुधार सकें।
-संपत्तिकर कब से जमा किया जा रहा है, पिछला कितना बकाया है, संपत्ति कितने लोगों के नाम पर दर्ज है, यह विस्तृत जानकारी मिल सकेगी।
-संपत्ति का क्षेत्रफल और जगह की तत्काल जानकारी मिल सकेगी।
-संपत्तिकर जमा करते ही स्वामी के मोबाइल पर एसएमएस पहुंच जाएगा। पिछले बकाया या नए वित्तीय वर्ष में संपत्तिकर जमा करने की सूचना भी एसएमएस से दी जाएगी।
-हर शहर में कितनी संपत्तियां हैं और उनसे कितना संपत्तिकर वसूला जा रहा है, इसकी जानकारी सरकार एक क्लिक करते ही जान सकेगी।

विवेक शेजवलकर, मेयर, ग्वालियर का कहना है कि प्रदेश स्तर पर शुरु किए जा रहे ई-नगर पालिका पोर्टल के ट्रायल में कुछ विसंगतियां हैं जिन्हें दूर कराया जा रहा है। अभी ट्रायल है। यह सिस्टम कारगर होगा, यह उम्मीद की जा रही है।