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अशोकनगरः अतिक्रमण, जाऊं तो कहां जाऊँ सब कुछ यहीं है

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Apr 1, 2019

मनीष नरबरिया- अशोकनगर जिले के राजपुर कस्बे में प्रशासनिक अधिकारियों की सख्ती के चलते 22 वर्षीय युवक की मौत हो गई। देखा जाए तो एक जनहित याचिका के चलते हाईकोर्ट ने राजपुर में किये गए अतिक्रमण को हटाने का आदेश जारी किया है। जिसके चलते प्रशासनिक अधिकारी कल सुवह दलबल के साथ यहां पहुँच गए और मकानों को खाली कराने को कहा।इस कार्रवाई से एक सैकड़ा के आसपास परिवार प्रभावित हुए हैं। साथ ही कई दर्जनों परिवार तो बेघर हो गए हैं। इन लोगों को समझ में नहीं आ रहा कि बरसों से हम जहां रह रहे थे, अब उस जगह को छोड़ कर कहां जायें। कई अपनी गृहस्थी का सामान सड़क पर रखकर बर्बादी का मंजर देख रहे हैं। वहीं प्रशासनिक अधिकारियों व भारी पुलिस बल की उपस्थिति में अतिक्रमण हटाने का काम जारी है।

खुशी का माहौल बदला मातम में

बताया गया है कि मकान खाली करने के दौरान जब 22 वर्षीय रफीक अपने मकान से सामान निकल रहा था, तभी अचानक वह यहां से निकली बिजली की लाइन के चपेट में आ गया, जिसके बाद उसको जिला अस्पताल ले जाया गया। जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।मृतक की दो दिन पहले ही सगाई हुई थी। मृतक के पिता ने लगाए प्रशासन पर मौत के जिम्मेदारी का आरोप। बोला हमारा पट्टा था फिर भी इसके बाद कार्रवाई की गई और हमारा बच्चा हाथ से चला गया। इस कार्रवाई से किस तरह परिवार बेघर हुए हैं, इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि एक परिवार ने अपने दो मंजिला मकान की छत पर चढ़कर आत्महत्या करने की धमकी देते हुए मकान तोड़ने से मना किया, लेकिन पुलिस के जवानों ने मशीन से जड़कर इन लोगों को काबू में किया। 

आशियाना गया, रोजी रोटी गई, बच्चों का स्कूल छूटा

कुछ लोगों ने पास में बने स्कूलों के अपनी घर- गृहस्थी का समान रख लिया है और तीन दिन से उसी जगह पर रात गुजार रहे हैं। एक महिला ने पठार पर अपना समान रखा है और कड़ी धूप में बैठी हुई है। उसने बताया कि जो घर टूटा है उसके अलावा हमारा कोई घर नहीं था। वहीं एक बुजुर्ग ने अपने आशियाने टूटने पर अपना दर्द जाहिर करते हुए कहा है कि मैं 40 वर्षो से निवास कर रहा था, जिसके बाद मुझे कई साल पहले इंदिरा आवास भी मिला था, जिसके वाद  भी मेरा मकान तोड़ दिया गया है। मकान टूटने वालों में से कुछ लोग तो ऐसे हैं जिनके पास उस मकान के अलावा कुछ नहीं था। जिस मकान में रहते थे, उसी मकान में दुकान चलाकर अपना और बच्चों का जीवन यापन कर रहे थे।

मकान टूटने पर छोटे छोटे बच्चे समान के साथ रोड़ पर बैठे हुए थे। जो शाम तक रोटी का एक भी निवाला नहीं खा पाए। लोग दूर बैठकर अपने ही आशियनों को टूटते हुए देख रहे थे। आशियनों के टूटने पर जिन्हें जहां जगह मिली वहीं अपना सामान रखकर बैठ गए। आशियानों पर जेसेवी चल रही थी और लोग रोड़ पर अपनी किस्मत की दुहाई दे रहे थे। पूरे शहर में ये चर्चा का विषय बना रहा है और सभी एक तरफ से चिंता जाहिर कर रहे थे।