Loading...
अभी-अभी:

विस्थापन का दर्द झेलते मजबूर किसान, न घर रहा, न खेत

image

Mar 6, 2019

नवीन मिश्रा- विस्थापन का दर्द क्या होता है, यह विस्थापित होने वाला ही समझ सकता है। कुछ ऐसा ही मामला जन सुनवाई के दौरान दिखा। जहां रिलायंस कंपनी द्वारा कॉल एरिया के लिए ज़मीन अधिग्रहित की गई लेकिन पुनर्वास नीति का पालन नहीं किया गया। विस्थापितों का यह भी आरोप है कि कंपनी प्रबंधन ने उनके स्वामित्व की ज़मीन पर मिट्टी का ढेर लगा दिया है। वहीं रिलायंस के द्वारा निकाली गई मिट्टी बारिश के दिनों में बह कर किसानों की ज़मीन में तकरीबन 3 से 4 फीट तक जमा हो गयी है, जिससे ज़मीन बंजर हो गई। विस्थापित आज भी सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काट रहा है।

किसान घर की छत सहित दाने-दाने को मोहताज़

इस मामले पर बोलते हुये स्थानीय महिला सरला ने कहा कि हम विस्थापितों ने कंपनी प्रबंधन पर आरोप लगाया है कि पिछले वर्ष रिलायंस कंपनी की ओवर वर्डन मिट्टी उनके खेतों में चली गई थी। जहां किसानों की पूरी खेती चौपट हो गयी है। साथ ही उन्हें रहने की भी समस्या आ खड़ी हो गई थी। ऐसे में जिला प्रशासन के हस्तक्षेप पर प्रभावित किसानों को किराए से मकान देने का आदेश दिया गया। जहां रिलायंस कंपनी प्रभावित किसानों को मकान से किराया उपलब्ध कराते हुए कुछ महीने पैसे दिए, लेकिन करीब 5 महीनों से किसानों को मकान का किराया देना बंद कर दिया। जिससे किसान घर की छत सहित दाने-दाने को मोहताज़ हो गए हैं।