Apr 12, 2018
मध्यप्रदेश की सरकार अवैध उत्खनन की रोकथाम को लेकर चाहे जितनी सफाई दे लेकिन सरकार इस सच्चाई को अस्वीकार नही कर सकती कि प्रदेश में व्यापक पैमाने पर उत्खनन का खेल जारी है और इस खेल में अवैध उत्खनन की रोकथाम के लिए बनाए गए विभागों की संलिप्तता भी इस दो नम्बरी कार्य में बराबर की है।
भू माफिया उत्खनन के कार्य में अब इतने मशगूल है कि जहां वह खनन कर रहे है वह जमीन सरकारी है या निजी उससे उन्हें कोई फर्क नही पड़ता। यूं तो सरकारी रिकार्ड में दर्ज जमीन पर भी भू माफिया अपना अधिकार स्थापित करने में लगे हुए है। लेकिन अब गरीबों की निजी जमीनों पर भी इनकी नज़रें गढ़ने लगी है और गरीब न्याय पाने के लिए भटकते रहते है ऐसा ही एक मामला सामने आया है सागर जिले की मालथौन तहसील के चनारी गांव का जहां एक दलित परिवार की पट्टे की जमीन पर एक दबंग खनन माफिया ने बुलडोजर चला कर उसमें खड़े पेड़ो को नष्ट कर दिया और जब किसान ने आवाज उठाई तो उसे धमकी दी गई।
कलेक्टर आॅफिस के चक्कर लगा रहा पीड़ित परिवार
सागर कलेक्टर आॅफिस के बाहर घूम रहा था पीड़ित परिवार जिले के मालथौन तहसील के चनारी गांव का है जो पिछले दो दिनों से आॅफिस में न्याय की गुहार लगाता घूम रहा है दरअसल इसके पट्टे की जमीन पर गांव का एक दबंग कब्जा करना चाहता है जिसकी शिकायत यह परिवार मालथौन थाना सहित खुरई तहसीलदार सभी से कर चुका लेकिन उसे कही से न्याय नहीं मिला इस कारण परिवार अब सागर आया है।
पीड़ित परिवार का क्या है कहना
पीड़ित परिवार के मुखिया का कहना है कि उसके गांव में बेशकीमती पत्थर निकलता है जिसकी अनेक अवैध खदाने संचालित है और यह काम वहाँ का खनन माफिया लल्लू राजा नाम का व्यक्ति करवा रहा है जो अब उसके खेत पर कब्जा कर उसमें खनन के प्रयास में हो उसने खेत में लगे पेड़ो को नष्ट करवा दिया।
महिला इंस्पेक्टर पर पैसे लेकर कार्यवाही न करने का लगा आरोप
सरकार ने अवैध उत्खनन की रोकथाम के लिए खनिज विभाग बनाया है अवैध खनन के मामले विभाग के लिए आमदनी का स्त्रोत होते है एक्का दुक्का कार्यवाही कर यह विभाग पल्ला झाड़ लेता है पीड़ित ने इस विभाग की महिला इंस्पेक्टर पर अवैध उत्खनन कर्ताओं से पैसे लेकर कार्यवाही न करने का आरोप लगाया है वही इस मामले में जब खनिज अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था कि उन्होंने जांच के लिए अधिकारी को भेजा है।
खनिज विभाग के यह नुमाइंदे भले ही जांच और कार्यवाही की बात करें लेकिन जिस अधिकारी पर पीड़ित आरोप लगा रहे है उसी अधिकारी को जांच के लिए भेजना क्या दर्शाता है।