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इंदौर : सांस्कृतिक झांकियों के साथ अखाड़े बने शहर की रौनक

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Sep 22, 2018

विकास सिंह सोलंकी - दरअसल इंदौर में हुकुमचंद मिल मालवा मिल सहित अन्य मील और प्रशासन द्वारा झांकियों का निर्माण वर्षों से किया जा रहा है। जो इंदौर की एक शान के तौर पर भी देखा जाता है। कई महीनों के मेहनत के बाद देश के सबसे उम्दा कारीगर इन झांकियों को तैयार करते हैं। इन झांकियों में लोगों को देने के लिए सामाजिक संदेश होते हैं। कभी पर्यावरण, कभी दुराचार, ग्लोबल वार्मिंग, देश विदेश में बन रहे तनाव सहित अन्य मामलों पर यह झांकियां समय समय पर प्रकाश डालती आई हैं।

इंदौर के मालवा मिल से होते हुए चिकमंगलूर चौराया, राजवाड़ा। शहर के बड़े हिस्से में फेरी लगाकर झांकियां सुबह अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचती हैं हालांकि वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को संजोना झांकी बनाने वालों के लिए मुश्किल होता जा रहा है। झांकियों को बनाने के लिए काफी पैसा खर्च होता है। जो जनसहयोग से अर्जित किया जाता है, लेकिन बदलते परिवेश के साथ ही लोगों की सोच में भी बदलाव आया है।

यही कारण है कि अब इन झांकियों को बनाने के लिए तय मात्रा में जन सहयोग प्राप्त नहीं हो रहा। जिसके चलते इंदौर की शान आनंद चौदस की झांकियां अपने अंतिम स्वरूप में चलती दिखाई पड़ रही हैं। जैसे-तैसे मिल मजदूर पाई पाई जुटाकर इस परंपरा को संजोने के प्रयास में है। अब देखना यह होगा देश और दुनिया को संदेश देने वाली इंदौर के चल समारोह की झांकियां आने वाले वक्त में किस तरह अपनी रफ्तार को कायम रख पाएंगी।