Loading...
अभी-अभी:

झाबुआः अधिकारियों द्वारा नहीं की गई नकली खाद बनाने वाली फेक्ट्रियों की जांच

image

Apr 11, 2019

दशरथ सिंह कट्ठा- झाबुआ जिले की औद्योगिक नगरी मेघनगर में उस समय  हलचल बड़ गई जब इंदौर से संयुक्त संचालक कृषि विभाग के आरएस सिसोदिया और राजेन्द्र चौहान सहायक संचालक अपनी पूरी टीम के साथ औद्योगिक क्षेत्र में स्थित फैक्ट्रियों निरक्षण करने आए। इस टीम ने अपने निरीक्षण का निशाना बनाया 2 साल से बंद पड़ी मध्य भारत फैक्ट्री को। सिसोदिया अपनी टीम के साथ इस बन्द पड़ी फैक्ट्री में करीब 2-3 घंटे सेम्पल लेते रहे। जबकि चालू फैक्ट्रियों की ओर झांका तक नहीं, AKVN के कागजों पर SSP (सिंगल सुपर फास्फेट) बनाने वाली मेघनगर में केवल 3 ही फैक्ट्रियां हैं। जिसमें से 2 कारखाना बन्द हो चुका है, जबकि जमीनी हकीकत में 6 से 7 फैक्टरियाँ चल रही हैं। इन कारखानों में नकली खाद बनाया जाता हैं उन फैक्ट्रियों की और मुंह तक नहीं किया और मेघनगर की मांगी होटल में खाना खा कर अपने गंतव्य की ओर निकल गए।  

प्रदेश किसान संघ के सचिव ने कहा नकली खाद बनाने वाली फैक्ट्रियों से सांठगांठ है अधिकारियों की

संयुक्त संचालक की आने की भनक जैसे ही मीडिया साथियों को लगी, तो संयुक्त संचालक से बात कर अवैध रूप से संचालित, जिसमें नकली खाद बनाने वाली फेक्ट्रियों की जांच करने की मांग की। लेकिन संयुक्त संचालक ने उनकी जांच करना मुनासिब नहीं समझा और गाड़ी पर बैठ कर रवाना हो गए। प्रदेश किसान संघ के सचिव राजेश वैरागी ने इस कार्यवाही पर अधिकारियों अवैध रूप से संचालित नकली खाद बनाने वाली फैक्ट्रियों से सांठगांठ होने की बात कही। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि अधिकारी इन फैक्टियों की बिना जांच किए रवाना हो गए, जबकि  इन नकली खाद बनाने वाली कंपनियों के सेम्पल लिए जाते तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता। ये अधिकारी यहाँ केवल अपने हिस्से पैसा लेने आते हैं।

सैंपल उठाने के नाम पर अधिकारी जब इन नकली खाद की फैक्ट्री पर पहुंचे तो एनओसी एवं पैकिंग प्रोडक्ट की जानकारी मांगना भी मुनासिब समझा एवं नियमों का हवाला देते हुए हम सिर्फ एमपी के खाद का ही सेम्पल खाद्य प्रोडक्ट का ही सैंपल ले सकते हैं इतना कहकर अपने काम की इतिश्री कर ली।

कृषि विभाग के अधिकारी सब कुछ जान कर भी अनजान बने हुए

मेघनगर औद्योगिक क्षेत्र में स्थित खाद बनाने फेक्ट्रियों में भी नकली खाद बनाने गोरख धन्दा चल रहा है। कृषि विभाग के अधिकारी सब कुछ जान कर भी अनजान बने हुए हैं। कहते ही जब तक हमारे पास लिखित में शिकायत नहीं आती, तब तक हम कुछ भी कार्यवाही नहीं करेंगे। इन फैक्ट्रियों में जब खाद बनाई जाती है तो गुणवत्ता का भी ध्यान नहीं रखा जाता है, न ही परीक्षण हेतु लेब है। अलग-अलग ब्रांड के नाम की थेलियां छपवा कर मनमर्जी से नकली खाद किसानों को खेतों में परोसी जाती है।