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कमजोर वर्ग का सहारा बनी जनकल्याण योजना

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Jun 20, 2018

प्रदेश में मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना समाज के गरीब और कमजोर तबके लिये बुरे वक्त का सहारा बन गई है। हाल ही में छिन्दवाड़ा जिले के ग्राम न्यूटन चिखली की साफरीन बानो, नीमच जिले के घसुण्डी ग्राम की गुड्डीबाई, झाबुआ जिले में रायपुरिया पंचायत के भरत मेड़ा, जबलपुर जिले के ग्राम घाना की सुनीता कुशवाह और बैतूल जिले के ग्राम सेलगांव के दिव्यांग बुर्जुग लवकुश के परिवार में गमी होने पर संबल योजना ने उन्हें तुरंत सहारा दिया। इन परिवारों का संबल योजना में पंजीकरण होने के कारण स्थानीय सरकारी अमला इनके घरों पर तत्काल पहुँचा और दिवंगत परिजन की अंत्येष्टि के लिये राज्य सरकार की ओर से नगद आर्थिक मदद दी। इसके अलावा परिवार के भरण-पोषण के लिये भी पात्रतानुसार वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई गई।

साफरीन बानो के पिता की मौत के बाद विगत 16 मई को माँ शाहिदा का भी देहांत हो गया था। घर में इतने पैसे भी नहीं थे कि साफरीन अपनी माँ को रीति-रिवाज से अंतिम विदाई दे सके। इस परिवार का संबल योजना में पंजीकरण होने के कारण इस दु:खद घटना की जानकारी मिलते ही सरकारी अमला घर पहुँचा, साफरीन को उसकी माँ की अंतिम विदाई की रस्म पूरी करने के लिये पाँच हजार रुपये की नगद आर्थिक सहायता दी। साथ ही, साफरीन बानो को उसके नाना अजीज अन्सारी के पास रहकर आगे की जिन्दगी गुजारने और पढ़ाई को जारी रखने के लिये पात्रतानुसार अतिरिक्त धनराशि भी उपलब्ध करवाई गई।

नीमच जिला ग्राम घसुण्डी
नीमच जिले में ग्राम घसुण्डी जागीर की गुड्डी बाई के पति पप्पूलाल का निधन हुआ, तो उसके पास अंत्येष्टि के लिये पैसे नहीं थे और घर में कोई कमान वाला भी नहीं बचा था। सरकारी अमले ने संबल योजना में उसे पति की अंत्येष्टि के लिये 5 हजार रुपये और परिवार के पालन-पोषण के लिये 2 लाख रुपये की वित्तीय सहायता तुरंत मुहैया करवाई। झाबुआ जिले के रायपुरिया पंचायत के भरत मेड़ा की पत्नी की असामयिक मृत्यु से उनके घर की व्यवस्था चरमरा गई। संबल योजना में मृतक पप्पूलाल का पंजीयन होने के कारण परिवार को अंत्येष्टि के लिये 5 हजार रुपये और जीवन-यापन के लिये 2 लाख रुपये की राशि सरकारी अमले ने उनके घर जाकर सौंपी।

जबलपुर ग्राम घाना
जबलपुर के ग्राम घाना की सुनीता कुशवाह के पति की असामयिक मृत्यु के कारण जब माँ-बेटों पर दु:खों का पहाड़ टूटा, तब संबल योजना उनका सहारा बनी। इस परिवार के पास संबल योजना का स्मार्ट कार्ड होने के कारण दिवंगत मुखिया की अंत्येष्टि के लिये 5 हजार रुपये और परिवार के जीवन-यापन के लिये 2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता तुरंत उपलब्ध करवाई गई। बैतूल जिले के सेलगांव के दिव्यांग बुर्जुग लवकुश के बुढ़ापे का सहारा उनका 40 वर्षीय पुत्र अचानक काल के गाल में समा गया। ऐसे वक्त पर दिव्यांग बुर्जुग के सामने बेटे के परिवार के लालन-पालन के लिये बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई। इस बुरे वक्त में संबल योजना इनका सहारा बनी, दिव्यांग लवकुश को पुत्र की अंत्येष्टि के लिये 5 हजार रुपये और परिवार के पालन-पोषण के लिये 4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता तुरंत उपलब्ध करवाई गई। अब ये सभी परिवार मुखिया के चले जाने के बाद भी भरण-पोषण के लिये किसी के भी मोहताज नहीं है। संबल योजना इन परिवारों के सदस्यों के रोजगार, स्वास्थ्य और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिये हमेशा इनका सहारा बनेगी।