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शरद पूर्णिमा पर कामदगिरि के तट पर 20 हजार से भी अधिक दमा रोगियों ने की परिक्रमा

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Oct 25, 2018

रामनरेश श्रीवास्तव : भगवान् के प्रति आस्था में लोग क्या क्या जतन करते है इसका उदाहरण प्रभु श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में देख सकते हैं जहां शरद पूर्णिमा को 20 हजार से ज्यादा दमा के रोगियों ने यह मानकर खीर के साथ दवा खाया की शरद पूर्णिमा की रात में अमृत की बर्षा होती है। चांदनी रात में खुले आसमान में खीर रखकर दमा के रोगी सारी रात जागकर बिताने के बाद प्रातः 4 बजे अमृत से भीगी खीर खाने के बाद कामदगिरि की परिक्रमा किया। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा को चन्द्रमाअपनी सोलह कलाओं को धारण करती है तब अमृत रुपी किरणे निकलती हैं। माना जाता है कि वे किरणे स्वांस (दमाँ) रोगियों के लिए रामबाण का काम करती हैं। इसी कारण श्रीराम की तपोस्थली में अपनी आस्था लेकर हजारों की तादाद में स्वांश रोगियोँ का जमावड़ा होता है।

धार्मिक नगरी मे शरद पुर्णिमा मे प्रत्येक वर्ष दमा रोगी एकत्र होते है! मिट्‍टी के बर्तन में खीर पकाकर उसे मून लाइट में रख दिया जाता है और फिर रात को बारह बजे के बाद दवा निकली जाती है जिसे सभी लोगो के पत्तलों में रखी खीर में डाली जाती है इस खीर को लोग सुबह के चार बजे चखते है | ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा में धर्मनगरी चित्रकूट में अमृत वर्षा होती है तभी इसे खुले में रखा जाता है जिसमे भगवान का यह प्रसाद पड़ने से यह दवा रामबाण का काम करती है और दमा ,अस्थमाँ के रोगी एकदम से ठीक हो जाते है।

स्वांस दमा के ही नहीं बल्कि बबासीर और गैस की बीमारी से ग्रसित मरीज भी बड़ी संख्या में चित्रकूट पहुंचकर अमृत रुपी खीर का सेवन करते हैं जो हर साल शरद पूर्णिमा को आते है।
पूर्णिमा की रात को देश के कई प्रांतों के दमा के रोगी कामदगिरि के किनारे इकट्ठा हुए हैं । किन्तु प्रशासन की और से उनकी सुविधा की कोई व्यवस्था नहीं है लोग बड़ी श्रद्धा लेकर आते हैं किन्तु न तो साफ़ सफाई कराई जाती और न ही महिलाओं के लिए प्रशाधन की ही सुविधा है और न ही पेयजल के प्रबंध किये गए।

महिला रोगियों का कहना है कि शासन ने न तो प्रसाधन की व्यवस्था की है और न ही रुकने सोने की जगह है। भारी परेसानी हो रही है। चित्रकूट में मिश्रा परिवार के द्वारा तीन पीढ़ी से स्वांश की दवा दी जा रही है। साल में एक बार दवा दी जाती है। तीन साल आने पर दमा के रोगियों को पूरा लाभ मिलता है। कामदगिरि के तट पर बैठे 20 हजार से भी अधिक दमा रोगियों ने खीर के साथ दवा का सेवन करने के बाद वे कामदगिरि की परिक्रमा करने से नहीं चूके। श्रीराम की तपोभूमि में शरद पूर्णिमा को हजारो लोगों का जमावड़ा रहा परंतु नगर परिषद् और प्रशासन ने उनकी सुविधा के लिए कोई प्रबंध नहीं किया।