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2012-13 में खरीदी गई धान चढ़ी बारिश की भेंट

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Aug 30, 2018

वरुण शर्मा - तस्वीरों में काली-मैली दिखने वाली धान किसानों के खून-पसीने की मेहनत है यह धान समर्थन मूल्य पर मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2012-13 के दरमियान खरीदी थी 2014 में इस धान को सतना जिले के बाबूपुर क्षेत्र में ओपन कैप में रखा गया मगर 4 बरस बाद आज इस धान का कोई नामलेवा नहीं बचा 15 हजार मीट्रिक टन धान आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। सड़ी धान की सुरक्षा में विपणन संघ ने भी लाखों रुपये फूंक दिया मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कॉरपोरेशन की इस धान को सहेजने की जिम्मेदारी विपणन विभाग को ही दी गई थी।

रख रखाव की जिम्मेदारी विपणन संघ की

आलम यह है कि इस खराब धान की न तो मिलिंग हो पाई और न ही इसे कोई खरीददार मिल रहा मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कारपोरेशन लिमिटेड के जिला प्रबंधक जीपी तिवारी कहते हैं कि 12-13, 13-14 का है ओपन भंडारण करवाया गया था गोडाउन में जगह न होने के कारण पानी से भीग जाने के कारण वह खराब हो गई इसलिए इसकी मिलिंग नहीं हो पाई वहीं रखी है जिसका निविदा विज्ञापन, टेंडर निकला है भोपाल स्तर से। टेंडर में बिक्री हेतु प्रक्रिया चालू है। पार्टी टेंडर की शर्तें देखकर रेट कोट करेगी। सूचित करना भोपाल का काम है। रख रखाव की जिम्मेदारी विपणन संघ की है।

प्रशासन का कहना है इसकी जांच चल रही है

इस मामले में जिला प्रशासन का कहना है इसकी जांच चल रही है मगर रख रखाव को लेकर हम इसकी ऑडिट कराएंगे कलेक्टर मुकेश शुक्ला ने बताया कि ओपन कैप में रखे गेहूं तो सुरक्षित है वो सब चोरहटा में कहीं हैं वो सब सुरक्षित है यह 3-4 साल पुरानी धान है जो बाबूपुर में रखी हुई है उसमें तो जांच चल रही है मगर हम यह देखेंगे कि उसके रख रखाव के क्या इंतजाम हैं उसकी ऑडिट करवाते हैं।