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दिगम्बर जैन समाज द्वारा बिहारी जैन मंदिर से निकाली गई पालकी यात्रा

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Sep 27, 2018

देवेन्द्र कुशवाहा : सोहागपुर में जैन समाज द्वारा आज बिहारी जैन मंदिर से पालकी शोभायात्रा निकाली गई चार पालकियों में शास्त्रों को रखकर शहर के विभिन्न मार्गो से होते हुए यह यात्रा वापस जैन मंदिर जाकर समाप्त हुई । दिगम्बर जैन समाज द्वारा केवल शास्त्रों की पूजा की जाती है मूर्ति पूजा की नहीं की जाती इस यात्रा में सैकडों महिलाओं बच्चे सहित शामिल थे ।यह व्रत 10 दिन का है ऋषि पंचमी से अंनत चर्तुथी तक।

वर्ष भर मे हुई गलतियो के लिय क्षमा मागी जाता है क्षमा दी जाती है इससे पवित्र  विचार आते  है।इस शोभायात्रा में जैन समाज के लोग ढोल ढमाकों के साथ नृत्य करते हुए चल रहे थे भक्त पालकी के सामने लाल कपड़ा बिछाते हुए चल रहे थे जिससे की जो व्यक्ति पालकी लेकर चल रहे थे उस पालकी में शास्त्र थे। शास्त्रों का किसी प्रकार का अपमान न हो वे अपवित्र न हो इसीलिए पूर्ण पवित्रता के साथ जमीन पर कपडा बिछाकर उस पर चलते हुए यात्रा चल रही थी। 

मेन बाजार में पहुॅचकर इस यात्रा को समाज के लोगों ने जगह जगह सम्मानित किया उसके बाद चौराहे पर तखत लगाकर उस पर पालकी रखी गई जहॉ महिला बच्चे, वृद्ध सभी ने पालकी के सामने आरती उतारी छोटे-छोटे बच्चे हाथ में दीये लेकर नृत्य करते हुए आरती कर रहे थे इन बच्चों की भक्ति देखते ही बन रही थी । उसके बाद यह यात्रा दिगम्बर जैन मंदिर में जाकर समाप्त हुई युवाओं ने जमकर नृत्य किया यह यात्रा लगभग 30 वर्षों से पर्युषण पर्व के दौरान निकाली जाती है ।

इस उददेश्य विश्व में शांति और अपराधियों को क्षमा करना है। दिगम्बर समाज के लोग सूर्य अस्त के बाद केवल एक बार खाना खाते हैं। उसके बाद पानी तक नहीं पीते है यह उनका बहुत कठिन व्रत है। ये लोग दूसरों को क्षमा कर पुण्य कमाते हैं। दिगम्बर जैन समाज ने प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी शोभायात्रा का आयोजन किया इनकी तैयारी दस दिनों से चल रही थी। बच्चों में उत्साह था नगर में प्रसाद स्वरूप सभी लोगो फल एवं मिठाईयां दी गई यह स्वयं पर्युषण माह में हरी सब्जी, फल फूल एवं पौष्टिक खादय समाग्रीयों का सेवन नहीं करते मूल रूप से इनका उददेश्य स्वयं दुख सहकर दूसरों को खुशी देना है यही इनके शास्त्र का मूल उददेश्य है।