Jan 16, 2019
धर्मेन्द्र शर्मा : ग्वालियर अंचल के सबसे बडे जयारोग्य अस्पताल में चोर उचक्के, जेबकतरे परेशानी बने हुए हैं। मरीजों के पर्स और सामान चोरी हो जाते हैं। बदमाश पकड़े भी जाते हैं लेकिन रिपोर्ट दर्ज कराने की माथापच्ची से हर कोई बचना चाहता है। जिसके कारण पुलिस को भी आरोपित को छोड़ना पड़ता है। जिससे बदमाशों के हौंसले बुलंद हो रहे हैं और वे अस्पतालों में वारदात को अंजाम देने में बिल्कुल गुरेज नहीं करते हैं।
सबसे ज्यादा वारदाते जयारोग्य अस्पताल,कमलाराजा अस्पताल के लेबर रूम,पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड व मेडिसिन वार्ड होती है,क्योकि दिनभर इन जगहो पर भीड़ रहती है। मरीज के अटेंडेंट ही नहीं डॉक्टर एवं स्टाफ भी काफी व्यस्त रहते है। जिसका फायदा उठाकर बदमाश अटेंडेंट ही नहीं स्टाफ का भी सामान पार कर देते हैं। कई ऐसी घटनाए यहा हो चुकी है।
जिनमे डॉक्टर एवं स्टाफ के कैबिन से सामान चोरी होने की कई घटनाएं हुई हैं। इसके अलावा अटेंडेंट का मोबाइल चोरी करते कई बार बदमाशों को पकड़ा भी गया है।लेकिन रिपोर्ट दर्ज कराने से सभी पल्ला झाड़ लेते है। जेएएच में सिक्युरिटी का ठेका हाइट्स कंपनी को दिया गया है, जिसने पेटी पर बीवीजी कंपनी को काम दिया है। ऐसे में यदि कोई अटेंडेंट या स्टाफ का सामान चोरी होता है तो सिक्युरिटी एजेंसी को जिम्मेदार माना जाएगा। इसके बाद भी एजेंसी एफआईआर से पल्ला झाड़ लेती है और जेएएच प्रबंधन भी ऐसे मामलो मे पीछे हट जाता है,क्योकि प्रबंधन का साफ तौर पर कहना है,कि जिनका सामान चोरी होता है,वे ही सामान मिलने के बाद रिपोर्ट कराना नही चाते है, ऐसे मे वे पकडे गये चोर को पुलिस को सौप दिया जाता है।
अस्पताल परिसर मे चोरी होने के बाद यदि जेबकतरा पकड़ा जाता है तो उसे जनता मारपीट कर गार्डों को सौंप देते हैं। लेकिन मरीज या अटेंडेंट भी पुलिस में एफआईआर कराने के लिए आगे नहीं आते हैं। जिससे अगले दिन बदमाश फिर किसी दूसरे को निशाना बनाता है। यदि लोग खुद एफआईआर कराएं तो इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सकता है।