Oct 13, 2018
सचिन राठौड़ - डेढ़ माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के साथ ही चुनावी बिगुल बज चुका है प्रशासन जहां शत-प्रतिशत मतदान कराने के लिए नित नए जागरूकता के कार्यक्रम करा रहा है वहीं राजनीतिक दलों ने भी सत्ता के लिए कमर कस ली है इन सब के बीच एक बहुत बड़ा मुद्दा पलायन कर जा रहे मतदाताओं का है जिसकी तरफ न तो प्रशासन का अब तक ध्यान गया है और न ही राजनीतिक दलों ने इस तरफ नजर डाली है।
यदि मतदान करने वाला एक बड़ा तबका जिले से पलायन कर चला जाएगा तो चुनाव में मतदान का क्या हश्र होगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। जिले से पलायन कोई नई बात नहीं है,लेकिन विधानसभा चुनाव ने पलायन को एक बड़ा विषय बना दिया है जिले से प्रतिदिन बड़ी संख्या में मजदूरों को पलायन कर जाते हुए आसानी से देखा जा सकता है।
जिले से प्रतिदिन 8 से 10 बसें मजदूरों को गुजरात तक ले जाने का काम कर रही है इन बसों में एक हजार से अधिक आदिवासी महिला, पुरुष तथा बच्चे गुजरात पहुंच रहे हैं इन क्षेत्रों से ग्रामीणों के पलायन करने से स्थानीय व्यापार-व्यवसाय भी प्रभावित हो रहा है।