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सिविल हॉस्पिटल की बदहाल व्यवस्था, डॉक्टर और स्टाफ की कमी का हर्जाना भुगत रहे मरीज

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Sep 29, 2018

अस्फ़ाक अंसारी - दरअसल में विश्व स्वास्थ के नियमानुसार जनसंख्या के आधार पर  1000 लोगों पर  एक डॉक्टर होना अनिवार्य है उसके बावजूद भी बिना सिविल हॉस्पिटल अव्यवस्थाओं के दौर से गुजर रहा है बीना सिविल हॉस्पिटल में मरीजों में सबसे ज्यादा संख्या गर्भवती महिलाओ की है और महिला डॉक्टर में डॉ नमिता गर्ग और डॉ प्रतिभा गोयल है लेकिन 24 घंटे ऑन कॉल रहने वाली सिर्फ डॉ नमिता गर्ग की जिम्मेदारी है महिला डॉक्टर और स्टाफ की कमी के चलते अब गर्भवती महिलाओं के ऑपरेशन भी बंद कर दिए गए हैं जिसकी बजह से गंभीर प्रसूताओं को जिला अस्पताल रेफर किया जाता है।

मरीजो के साथ किया जा रहा सौतेला व्यवहार

बता दें की उनकी जिंदगी पर मौत का खतरा अब मंडराने लगा है लेकिन प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी देशभर में डॉक्टर की कमी बता कर अपनी जिम्मेदारियो से बचते नजर आ रहै है बीना सिविल हॉस्पिटल को 50 बिस्तरों वाला हॉस्पिटल कहा जाता है लेकिन वर्तमान स्थिति में बीना सिविल हॉस्पिटल मे 100 से ज्यादा पलंग मौजूद है जिसे जिला अस्पताल की सुविधाओ की जरूरत है  उसके बावजूद भी बीना सिविल हॉस्पिटल के मरीजों के साथ प्रशासन के द्वारा सोतेला व्यवहार नजर आ रहा है।

व्यव्स्था पर उठ रहे सवाल

विधानसभा में जिला स्तरीय  हॉस्पिटल बनाया गया है जबकि ओपीडी मरीजों की संख्या खुरई की अपेक्षा बीना सिविल हॉस्पिटल में कहीं ज्यादा है  राजनीतिक प्रभाव के चलते बीना की जनता को वह मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है जो बीना सिविल हॉस्पिटल को मिलना चाहिए थी और बीना सिविल हॉस्पिटल का थोड़ा बहुत स्टाफ काम के बोझ से दबता चला जा रहा है। क्या सांसद और बिधायक सिविल हॉस्पिटल में  रिविन काटने के लिए ही रह गए हैं आखिर बीना से सिविल हॉस्पिटल की बदहाली का कौन है जिम्मेदार है।