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रायसेन : अस्पताल में फैली अव्यवस्थाएं, बच्चे हो रहे कुपोषण के शिकार

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Jul 25, 2018

इलयास खान : आम जनता को सरकारी सेवाएं ओर संजीवनी देने वाला अस्पताल जब खुद ही बीमार हो तो आमजनता का इलाज कौन करे, बता दें यह हाल है सामुदायिक स्वस्थ केंद्र मंडीदीप का। मीडिया की टीम जब मंडीदीप पहुँची और वहाँ के सरकारी अस्पताल में इलाज कराने आये मरीजो से पूछा तो उन्होंने बताया की प्राथमिक उपचार शुल्क 10 रूपये वसूला जा रहा है। उसके बाद जब डॉक्टर के पास जाओ तो डॉक्टर ड्यूटी पर मौजूद नहीं मिलते, घंटो डॉक्टर का यहां इन्तजार करना पड़ता है। 

इस अस्पताल में कभी डॉक्टर टाइम पर नही मिलते बस मरीज अस्पताल में इधर उधर भटकते देखे जा सकते है। वहीं बात करे स्वास्थ्य केंद्र मंडीदीप में साफ सफाई की तो आलम यह है की चारो ओर गन्दगी फैली हुई है कहने को यह अस्पताल भोजपुर विधान सभा में आता है और यहाँ से प्रदेश सरकार के पर्यटन मंत्री सुरेन्द्र पटवा यहां का प्रतिनिधित्व करते है जिसे प्रदेश सरकार में कद्दावर मंत्री कहा जाता है। फिर भी दुर्भाग्य अस्पताल अपनी ही बीमारी से उभर नही पा रहा है।       

अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों से लेकर स्टाफ के कर्मचारी भी नदारद रहते है यहां पर पदस्थ अधिकारी कर्मचारियों की मनमानी, लापरवाही एव भ्रस्टाचार के चलते शासन की सभी योजनाएं दम तोड़ते नज़र आ रही है। अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी, मेडिकल ऑफिसर के पद पर पदस्थ डॉ. बी एस मैना खुद ही समय पर नही आते जबकी यह यहां पर मैडिकल प्रभारी है। डॉक्टर मैना बच्चो के डॉक्टर है  जिससे दूर दूर से बीमार बच्चो को लेकर आने वाले परिजनों को डॉक्टर के न मिलने से उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता है।

आलम यह है कि साफ सफाई नही होने से गंदगी का अम्बार देखा जा सकता है कि सरकारी अस्पताल में शायद मक्की पालन केंद्र खुल गया हो। जहाँ लैट्रिन बाथरूम भी गंदगी से भरा पड़ा है। जहां गरीबों को मुफ्त इलाज मिलना चाहिए वहां गरीब मरीजो को लूटा जा रहा है। ओ0पी0डी0 पीली रंग के पर्चा मुक्त में बनाया जाना है किंतु पर्चा बनाने वाला कर्मचारी प्रति पर्चा 10 रुपया हिसाब से बसूल कर गरीब मरीजो को खुले आम लूटे जा रहे है। जब कि कर्मचारियों का कहना है कि कोई पैसा नही लिया जाता है। वहीं मरीजो का कहना है कि पीले रंग के पर्चे से भी बराबर 10 रुपय बसूले जा रहे हैं। अस्पताल प्रबंधक की इस लापरवाही की वजह से इस क्षेत्र में कुपोषण के शिकार बच्चों की तादाद बढ़ती जा रही है।