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कोशा पालन कर सकता है आदिवासी जिलों का कायाकल्प, सुधरेगी ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति बचेगा जंगल

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Jan 1, 2019

शिवराम बर्मन - डिंडौरी जिले के जुनवानी गांव की, जहां वन, रेशम  विभाग कि मदद से ग्रामीणों का भाग्य बदलने लगा है वन विभाग ने गांव के लोगों को प्रशिक्षण देकर, आठ लोगों के समूह को रेशमी कीड़े के 1800 अंडे देकर रेशम उत्पादन से जोड़ा और साजा के बहुतायत मात्रा में पेड़ होने से ग्रामीणों ने रेशम के कीड़े पालना शुरू कर दिया जुनवानी गांव के किसानों ने पहली बार में ही लगभग 40 हजार कोकून तैयार किया जिसकी कीमत लगभग 60 हजार रुपये होगी।

अतिरिक्त आय का बना जरिया

वहीं किसानों का कहना है कि खेती के अलावा उनके अतिरिक्त आय का जरिया बन गया है जिससे ग्रामीणों के विकास को गति मिलेगी वहीं रेशम विभाग के फील्ड ऑफिसर बीएल बिल्लोरे का कहना है कि जिले में साजा के पेड़ बहुतायत मात्रा में हैं ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाने के लिए रेशम उत्पादन बेहतर काम है बेहद खुशी की बात है कि पहली बार में ही ग्रामीण अच्छा उत्पादन ले रहे हैं वहीं इस बार और किसान जुड़ने के लिए प्रोत्साहित हैं।

वन संरक्षण पर अच्छा असर

वन विभाग के इस सराहनीय पहल से वन संरक्षण पर भी अच्छा असर पड़ेगा पहले जिनके जीवन यापन का जरिया वन से लकड़ी काट कर बेचना था अब वह भी रेशम उत्पादन से जुड़कर लाभ उठाएंगे जिससे जिले के हर भरे जंगल भी बचेंगे, जिले का पलायन रुकेगा बेरोजगारी दूर होगी ओर किशानो की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी अब इस योजना को सरकार को बड़े स्तर में पहल करने की जरूरत है।