Loading...
अभी-अभी:

सतना : आदिवासी इलाका डायरिया बीमारी के शिकंजे में, 10 दिनों में 4 की मौत

image

Sep 3, 2018

वरुण शर्मा - जिले के आदिवासी बाहुल्य परसमनिया पठार अंचल की 16 पंचायतों में पुरैना पंचायत का देवरी और चौतरिहा गाँव इतना दुर्गम स्थान है कि यहां 21 वीं सदी में अभी भी बमुश्किल पैदल 10 से 12 किलोमीटर पहाड़ी रास्ते से पैदल चलकर ही जाया जा सकता है। इसलिए गाँव के लोग लगभग सभी आधुनिक सुविधाओं के मोहताज है और बीमार पड़ने पर आज भी झाड़ फूंक का सहारा लेकर आकाल मौत के मुह में समा जाते है।

करीब 50 लोग बीमार

गाँव मे जब झाड़ फूँक करने वाले भी हाथ खड़ा कर देते है तो गाँव वाले मरणासन्न मरीज को लकड़ी की खाट पर लेटा कर कंधे के सहारे कई किलोमीटर पैदल चलकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परसमनिया पठार तक पहुंच पाते है गाँव जाने के लिए पहाड़ी नालों में पुल न होने की वजह से जरूरत पड़ने पर एम्बुलेंस गाँव तक नही पहुंच सकती गाँव वालों का कहना है। गाँव मे पिछले एक महीने से हालत खराब है। चार लोगो की मौत हो चुकी है करीब 50 लोग बीमार है।

अब तक चार ग्रामीणों की मौत

लेकिन पिछले तीन दिनों में हालत बेकाबू होने पर आज गाँव मे सरकारी अमला पहुँच सका है। सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़े यहां के ग्रामीणों की हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है। कि डायरिया जैसी बीमारी मे चार ग्रामीणों की मौत होने के बाद अब स्वास्थ्य अमला जाग सका और आज गाँव पहुँच डायरिया की दवाई वितरित की है व साफ सफाई रखने की सलाह दे अपनी ड्यूटी करते नजर आए है। वहीं चार लोगो की मौत के सवाल पर भी चुप्पी साध ली है।

प्रशासन सो रहा कुंभकर्णी नींद

 डायरिया से हुई चार मौतो के बाद प्रशानिक अमला कुंभकर्णी नींद से जागा और गाँव मे पानी की जांच करने पहुँचा है। इस तरह के मूल भूत सुविधाओ से बंचित गाँवो मे समय समय से सरकारी अमला अपनी जिम्मेदारी निभाता तो पिछड़े इलाके में रहने वाले ग्रामीणो को आकाल मौत न मरना पड़ता।

नहीं मिल पा रही कोई भी सुविधा

प्रदेश सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को घर घर तक पहुंचाने का दावा करती नजर आती है पर समाज के अंतिम छोर में खड़े इंसान को इन स्वास्थ सुविधाओं कितना लाभ मिल पा रहा है। अगर इसे किसी को देखना हो तो आदिवासी बाहुल्य परसमनिया पठार में आकर देखना चाहिए क्योंकि सरकारी दावे और जमीनी हकीकत में अभी बहुत बड़ी खाई है।