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शिवराज सरकार की योजनाएं रडार पर, संबल योजना के कनेक्शन जांच के दायरे में

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Jan 16, 2019

विनोद शर्मा : मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार आने के बाद से ही तत्कालीन शिवराज सरकार की योजनाएं रडार पर है। इसी कड़ी में विधानसभा चुनाव के एनवक्त पर शुरू की गयी, संबल योजना के कनेक्शनों को ग्वालियर-चंबल संभाग में जांच के दायरे में ले लिया है। बिजली कंपनी अब उन कनेक्शनों की जांच कर रही है, जिन्हें संबल योजना के तहत जोड़ा गया था। ऐसे में बिजली कंपनी को कई कनेक्शन ऐसे मिले है, जो तय मानकों से ज्यादा बिजली खपत कर रहे थे। कंपनी ने उन कनेक्शनों को लिस्टेड कर लिया है, साथ ही इंतजार सरकार के उस आदेश का है, जिसमें उनसे या तो वसूली होना है या फिर उनके कनेक्शन काटे जाना है। 


मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार ने मजदूरों के लिए सरल योजना लागू की थी। इस योजना के तहत रजिस्टर्ड उपभोक्ता को 200 रुपए में बिजली दी जानी थी। सरकार ने चुनाव जीतने के लिए गाइड लाइन की अनदेखी करा दी और ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाभ पहुंचाने का टारगेट दिया गया। स्वीकृत लोड पर उपभोक्ता को योजना में शामिल किया गया, लेकिन सरल योजना के उपभोक्ताओं की बिजली खपत कहीं ज्यादा आई है। सरकार बदलने के बाद कंपनी ने उपभोक्ताओं का सत्यापन शुरू कर किया है। जिसमें चौकानें वाले खुलासे हो रहे है।

मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी सबसे पहले उन संबल योजना के डिजिटल मीटर को चैक कर रही है। जिन्हें संबल योजना के तहत जोड़ा गया था। डिजीटल मीटरों में 6 महीने का पूरा डाटा सेव रहता है। कंपनी के अधिकारी मीटर से उपभोक्ता के घर का लोड निकाल रहे हैं। मीटर में लोड ज्यादा आ रहा है। सबसे पहले कंपनी ने 1000 यूनिट खपत करने वालों की जांच की। फिर  500 यूनिट खपत करने वालों की जांच की। दोनों में ही सभी अयोग्य निकले। ऐसे बीजेपी का कहना है कि उनका मकसद गरीबों को योजना का लाभ देना था। लेकिन कोई भी योजना हो, उसमें अपात्र लोग भी शामिल हो जाते है, वहीं कांग्रेस कह रही है कि शिवराज सरकार ने अपनी चुनावी फायदें के लिए जल्दबाजी में अपात्रों को कनेक्शन बांट दिए है।


इस मामले मे पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया का कहना है कि गरीबो के लिए जो शिवराज सरकार ने योजना शुरु की थी उसको खत्म करने की जो शाजिस चल रही है उसका खामियाजा कांग्रेस सरकार को आने वाले विधानसभा मे भुगतना पडेगा उन्होने कहा कि किसी भी सरकार की योजना को यू खत्म करना ठीक नही है।

शिवराज सरकार ने  संबल योजना योजना का लाभ देने के लिए नियम निर्धारित किए गए थे। 

·उपभोक्ता के पास मजदूरी कार्ड व घर का लोड 1 हजार वाट होना चाहिए। 

·घर में एसी व हीटर नहीं होना चाहिए। अगर ये दोनों उपकरण पाए जाते हैं तो अपात्र माना जाएगा।

·उपभोक्ता को योजना में रजिस्टर्ड करने से पहले इंजीनियर को उसके घर का लोड चेक करना था, लेकिन सरकार के दवाब में स्वीकृत लोड ही लाभ दिया गया।

·नगर निगम ने भी उस व्यक्ति की जांच नहीं की, जिसे मजदूरी का कार्ड जारी किया था। इस वजह से अयोग्य लोग योजना में शामिल हो गए।

बहरहाल विद्युत वितरण कंपनी अयोग्यों का एक साथ नाम नहीं हटा पा रही हैं। क्योंकि आंदोलन होने की संभावना है। वहीं कमलनाथ सरकार ने उन कनेक्शनों की जांच के आदेश तो दिए है। साथ ही बिजली कंपनी ने उन्हें लिस्टेड भी कर लिया है। लेकिन फिलहाल कार्रवाई से पीछे हट रही है, क्योंकि लोकसभा चुनाव आ चुका है। ऐसे में डर है कि अगर इन कनेक्शनों को काटा गया। तो कहीं उसका नुकसान कांग्रेस को न हो जाएं।