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सोईल हेल्थ कार्ड योजना भिंड जिले में पूरी तरह से ठप्प

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Sep 27, 2018

गिर्राज बोहरे : मोदी सरकार द्वारा किसानो के हित के लिए शुरु की गई सोईल हेल्थ कार्ड योजना भिंड जिले मे पूरी तरह ठप्प पड़ी हुई है। किसानो को सोईल हेल्थ कार्ड योजना के बारे मे कोई जानकारी ही नहीं है। इतना ही नहीं अपनी मिट्टी का परीक्षण करवाने के लिए मिट्टी परीक्षण केन्द्र पर पहुंच रहे किसानो को भी समय पर मिट्टी की जांच रिपोर्ट नहीं मिल पा रही है। नतीजा ये है कि किसान बिना किसी जानकारी के अपने हि hसाब से खेती करने के लिए मजबूर है। जबकि कृषि विभाग के अधिकारी सोईल हेल्थ कार्ड योजना के कागजी आंकड़ो की दम पर अपनी पीठ थपथपा रहे है।

मोदी सरकार द्वारा किसानो के हित के लिए 17 फरवरी 2015 को सोईल हेल्थ कार्ड योजना का आगाज किया गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानो को उनके खेत की मिट्टी की प्रकृति की जानकारी उपलब्ध कराने और मिट्टी के हिसाब से उसमे खाद एवं पानी देने समेत अन्य जानकारियां उपलब्ध करवाना था। जिससे किसान अपनी फसल की अच्छी पैदावार हासिल कर सके। लेकिन भिंड जिले मे ये योजना पूरी तरह दम तोड़ चुकी है। किसानो को सोईल हेल्थ कार्ड योजना के बारे मे कोई जानकारी ही नहीं है। कृषि विभाग का कोई भी अधिकारी या कर्मचारी कभी इन किसानो के बीच सोईल हेल्थ कार्ड योजना को लेकर नहीं पहुंचा। नतीजा किसान सोईल हेल्थ कार्ड योजना से पूरी तरह अंजान है। उन्हें तो ये तक नहीं मालूम कि ये योजना प्रदेश सरकार की तरफ से है या फिर केन्द्र सरकार की तरफ से।

बात यहीं तक रहती तो भी ठीक था लेकिन हद तो तब हो जाती है जब किसान खुद ही अपनी मिट्टी का परीक्षण करवाने के लिए मिट्टी लेकर मिट्टी परीक्षण कार्यालय तक पहुंचता है और यहां पर मिट्टी का परीक्षण करके किसान को समय पर जांच रिपोर्ट भी नहीं दी जाती है। जिससे किसानो को मिट्टी की प्रकृति जाने बगैर अपनी फसल की पैदावार करनी पड़ती है।

जिलेभर मे दो लाख किसान है। ये हालात शहरी क्षेत्र के किसानो के है। जब शहरी क्षेत्र के ये हाल है तो आप अंदाजा लगा सकते है कि दूर दराज के गांव मे बसे किसानो तक इस योजना की सुगबुगाहट तक नहीं पहुंची होगी। किसान नेता संजीव बरुआ का आरोप है कि कृषि विभाग के अधिकारी फर्जी तरीके से सोईल हेल्थ कार्ड तैयार करने का काम कर रहे है। पूरी योजना कागजो मे ही सिमटकर रह गई है। हकीकत मे इस योजना का धरातल पर कोई वजूद ही नहीं है।

कृषि विभाग के अधिकारी इस योजना को भिंड मे पूरी तरह सफल मानकर चल रहे है। अधिकारियो का दावा है कि अभीतक बीस हजार किसानो को सोईल हेल्थ कार्ड योजना का लाभ दिया जा चुका है। साथ ही इस साल मिट्टी परीक्षण के चौदह हजार के लक्ष्य मे से नौ हजार का आंकड़ा कृषि विभाग द्वारा पूरा कर लिया गया है। इस तरह कागजी आंकड़ो की दम पर अधिकारी इस योजना को सफल घोषित करने मे जुटे हुए है।

किसान इस योजना से अंजान है और मिट्टी की प्रकृति की जानकारी नहीं होने से परेशान भी है। बाबजूद इसके सरकारी आंकड़े इनके उलट है और योजना को सफल साबित करते नजर आ रहे है। कागजो मे सिमट चुकी इन योजनाओ की वजह से आज भी किसान के लिए खेती करना घाटे का सौदा ही साबित हो रहा है। क्या इस तरह ही मोदी सरकार किसानो की आय को दोगुना करने का दम भरती है?