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मेडिकल ऑफिसर की लापरवाही से बृद्ध की मौत, प्राइवेट कम्पाउंडर से लगवाया था इंजेक्शन

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Oct 24, 2018

अर्पित गुप्ता - नगर के प्राथमिक उपस्वास्थ्य केंद्र पर पदस्थ मेडिकल ऑफिसर डॉ. निशांत यादव की लापरवाही के चलते उनके व्यक्तिगत क्लीनिक पर आज एक बृद्ध की मौत हो गयी मृतक के पुत्र ने बताया कि मेरे पिता जी का उपचार ग्वालियर में चल रहा था लेकिन आज अचानक सीने में दर्द हुआ तो मै पिता जी को लेकर शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दबोह पहुँचा तो डॉ. निशांत यादव ने मुझे अपने निजी क्लीनिक पर आने के लिए कहा डॉ. के अनुसार मै पिता जी को लेकर उनके निजी क्लीनिक पर पहुँचा जहाँ पर उन्होंने मेरे पिता जी को पाँच इंजेक्शन कुछ-कुछ समय के अंतराल में अपने प्राइवेट कम्पाउंडर से लगवाये जिनमे एक आई.बी. (नस) इंजेक्शन भी दिया जिसके तुरंत बाद मेरे पिता जी की मौत हो गयी।

डॉ. ने मृतक को ऑक्सीजन देने के बहाने भेजा शासकीय स्वास्थ्य केन्द्र

डॉ. ने आनन फानन में मृतक को ऑक्सीजन देने के बहाने शासकीय स्वास्थ्य में भेजा जहाँ उन्हें डॉ. के द्वारा मृत घोषित कर दिया जिस पर मृतक के परिवार बाले भड़क गये व देखते ही देखते मृतक के परिवारजनों का जमावड़ा लग गया यहाँ बता दे मृतक ओमप्रकाश दुबे पुत्र अयोध्या प्रसाद दुबे निवासी शलमपुरा हाल वार्ड नं.13 दबोह भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक मथुरा प्रसाद के रिश्तेदार थे परिवार के लोगो ने दबोह थाने पर रिपोर्ट दर्ज कराई पुलिस ने पंचनामा बनाकर बॉडी को अंतिम परीक्षण के लिए लहार भेज दिया यहाँ बता दे कि दबोह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पदस्थ डॉ. निशांत यादव जब से पदस्थ हुए है तब से नगर में वह चर्चा का विषय बने हुए है।

मेडिकल ऑफिसर पर कई बार की गई शिकायतें

इन्होंने अपना एक निजी क्लिनिक गणेश चौक पर संचालित कर रखा है यह महाशय स्वास्थ्य केंद्र में समय कम व अपने निजी क्लिनिक पर समय अधिक देते है  शासन के निर्देशानुसार ओ.पी.डी. सुबह 8:30 से 1:30 तक है जब कि इन समयो में डॉ. को अपने प्राइवेट क्लीनिक पर बैठा देखा जा सकता है पूर्व में भी मेडिकल ऑफिसर की शिकायत कई बार वरिष्ठ अधिकारियों से की जा चुकी है लेकिन अभी तक डॉ. खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गयी है सूत्रों की माने सरकारी बोतल व दवाओं का अपने निजी क्लिनिक से बेचने का भी कारोबार किया जाता है।

अपने चहेते मेडिकल स्टोर को पहुंचाते है फायदा

डॉ. निशांत यादव के द्वारा लिखित दवाओं के पर्चे चिन्हित मेडिकल स्टोर पर ही पहुचाये जाते है जहाँ  ग्राहकों की जेब पर खुलकर डाका डाला जाता है सूत्रों की माने तो डॉ. के द्वारा लिखे गए पर्चो में एक दवा ऐसी लिखी जाती है जो सिर्फ डॉ. के द्वारा चिन्हित मेडिकल स्टोर पर ही उपलब्ध रहती है जिसके कारण ग्राहक को मजबूरन उसी चिन्हित मेडिकल स्टोर पर जा कर दवा खरीदनी पड़ती है डॉ. और मेडिकल स्टोर का गठजोड़ में क्या रहस्य छिपा है यह तो सिर्फ बो दोनों ही जाने लेकिन इन दोनों का गठजोड़ जग जाहिर है डॉ. निशांत यादव सिर्फ अपने चहेते मेडिकल स्टोर के पर्चे पर ही दवा लिखते है जिसका फायदा चहेते मेडिकल को मिलता है।

अप्रशिक्षित लोग व युवकों करते है उपचार

नगर में खुलेआम अप्रशिक्षित युवकों द्वारा उपचार किया जा रहा है जिन्हें शारिरिक स्वास्थ्य के सम्बंध में कोई भी जानकारी नही रहती है यह तो केवल अपने निजी फायदे के लिए क्लिनिक संचालित कर उपचार करते हुए देखे जा सकते है इन लोगो की शिकायत कई बार जिलस्वास्थ अधिकारी से की गयी लेकिन दबोह नगर की ओर को कोई भी बरिष्ठ अधिकारी कार्यवाही करने के लिए तैयार नही होता है बताया जाता है कि इन प्राइवेट क्लीनिकों से एक सुविधा शुल्क प्रतिमाह बरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी जाती है वही दूसरी ओर मध्यप्रदेश शासन के द्वारा गरीबो के लिए बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था कराने लिए प्रयासरत है तो बही उनके ही विभाग के चंद नुमाइंदे लोगो की जान के साथ खिलवाड़ करते देखे जा सकते है।

स्वास्थ्य केंद्र के सभी कर्मचारी जेबे भरने में व्यस्थ

नगर के शासकीय स्वास्थ्य केंद्र के सभी कर्मचारी अधिकतर अपने निजी क्लीनिकों पर अधिक ध्यान देते हुए देखे जा सकते है अधिक जानकारी के लिए बता दे कि शासकीय स्वास्थ्य केंद्र पर दो मेडिकल ऑफिसर पदस्थ है जो अपने अपने निजी क्लीनिकों पर ध्यान लगाएं हुये है एक कम्पाउंडर पदस्थ है जो अपना निजी मेडिकल संचालित किए हुए है वो अधिकतर अपना निजी मेडिकल चलाते हुए देखे जा सकते है वही एक दवासाज पदस्थ है वो भी अपने निवास पर प्रेक्टिस में लगा हुआ है इस तरह से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वास्थ्य व्यवस्था बहुत ही बुरी तरह से चरमरा गयी है यहा आए दिन प्रसूताओं, नवजातों व बद्धो की मौत किसी न किसी शासकीय कर्मचारी की लापरवाही से होंना खेल बन गया है।